Book Title: Meri Golwad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi

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Page 64
________________ जो एक हजार वर्ष से अधिक प्राचीन एवं बड़ा विशाल है। इसके अतिरिक्त बड़े उपाश्रय में श्री. पार्श्वनाथ का और एक धर्मशाला में श्रीपद्मप्रभ तथा श्रीऋषभदेव का एवं दो गृह-जिनालय भी हैं । यहाँ ९ उपाश्रय, २ धर्मशाला, १ लायब्रेरी तथा एक बड़े न्यातिन्योरे में आयंबिल-खाता, व्याख्या. नालय, साधुओं के ठहरने योग्य उपाश्रय और न्याति का विशाल भोजनालय भी है । सरकारीस्कूल, अस्पताल, पोस्ट ऑफिस, हाकिम कचहरी, कन्याशाला, पुस्तकालय आदि सभी साधन यहाँ पर उपलब्ध हैं। आणंदजी कल्याणजी की शाखापेढ़ी भी है जो स्थानीय और आस-पास के तीर्थ स्वरूप जिनालयों की सार-संभाल करती है। द्वितीय द्वादशी को संघ यहाँ से प्रस्थान करके प्रसिद्ध तीर्थ राणकपुर पहुँचा। आणंदजी कल्याणजी की पेढ़ी के तरफ से स्वागत बड़ा शानदार हुआ। यहाँ उस समय यात्रियों की संख्या भी अधिक थी। संघपतिने जिनालयों में बड़ी सज-धज के साथ पूजायें भणाई, अंगीरचना-रोशनी के साथ सुमेरपुर-बोर्डिंग की संगीतमंडली के भजनों के साथ नृत्य कराये, एवं दो नवकारसी जीमन किये। भारी मानव-मेदिनी के बीच संघपति को संघमाला पह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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