Book Title: Meri Golwad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi

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Page 73
________________ ६४ नहीं है, अतः वे ऐसा लिख गये। 'पातरियों' शब्द का प्रयोग उनके चरित्र का अंकन करता है। वे आधुनिक युग के उन पुरुषों में से मालूम होते हैं जिन्हें विशेषकर पातरियों के दृश्य देखने को मिलते होंगे और उन्हें यह वर्णन लिखते समय वह ही दृश्य याद रहा । वस्तु तो यह है कि इन नग्नचित्रों से अर्थ युगलिक-पुरुषों के उस पूर्वतम आदि प्राकृतिक रहन-सहन के स्वरूप से है जब वस्त्रावरण का व्यवहार भी नहीं चला था और न उनमें वे भाव ही अंकुरित हो पाये थे, जिन भावों को लेकर हम आज अपने अंगों को ढकते हैं । आदि पुरुष नग्न रहते थे, तदनन्तर बल्कल में अंग आच्छादन करने लगे और फिर वस्त्र से, यह तो सब ही इतिहासकार मानते हैं । परन्तु मालूम नहीं, मारवाड़ के इतिहास लेखक मानते हैं या नहीं ? । खैर, यहाँ इन नग्न चित्रों का अर्थ आदि युगलिक पुरुषों के रहन-सहन के स्वरूप ही दिखाने मात्र से है और कुछ नहीं। वेहार के ठीक नैकट्य में एक श्वेताम्बर जैनधर्मशाला भी विशाल बनी हुई है और पहिले की है। साधुसमुदाय के उतरने के लिये इसीमें एक उपाश्रय भी है जिसमें दो कमरे हैं। दूसरी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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