Book Title: Meri Golwad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi

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Page 76
________________ हैं पंचाचारी सद्व्यवहारी, जैनाचार्य कहाये हैं, शहर जावरा के कानन में, सत्यागम मार्ग दिखाये हैं । (३) प्राणप्रतिष्ठा जिनबिम्बों की, गाँव नगर करवाई है, योगोद्वहन क्रिया तप व्रत की, महिमा खूब जगाई है। अभिधानराजेन्द्र कोष की, रचना रम्य दिखाई है, विद्वजन के उरहार बनी, वैज्ञानिक मन भाई है। (४) संघत्रिस्तुतिक रम्य-वाटिका, पुष्पाक्षत से वधाती है, दर्शनदान दिलाओ दानी, वार वार यह कहती है। एक वार तो फिर आ जाओ, भारत जन की विनती है, गुरुदेव तुम्हारे चरणन में, पूजन स्वागत करती है ।। (५) यतीन्द्रसूरीश्वर नेतृत्व में, सुजयन्ती उजमाई है, पौषशुक्ल की जन्म सप्तमी, स्वर्ग वही कहलाई है। सुप्तजनों को जागृत करती, कवि बुध के मन भाई है, जयवन्त जयन्ती अभिवन्दन, शिशु विद्यामुनि गाई है ।। -मुनिश्रीविद्याविजयजी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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