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एक धर्मशाला और भी है जिसको अहमदावाद के सेठ कस्तूरभाईने बनवाई है और तीसरी धर्मशाला सादड़ीवाले एक श्रेष्ठिने बनवाई है। पहले की अपेक्षा आज इस तीर्थ का सुधारा सराहनीय हो गया है । श्रीगुरुदेव का जयन्ति उत्सव
पंचतीर्थी की यात्रा करके वापिस लौटते हुए पौषसुदी५-६-७ इन दिन तक संघ का डेरा खुडाला में रहा । पौषशुक्ला ७ मी का दिन विश्वपूज्य-गुरुदेवप्रभुश्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज की ३६ वें वर्ष की निर्वाण तिथि का स्मारक दिन था । इसलिये गुरुजयन्ति का उत्सव यहीं पर मनाया गया। जयन्ति का सारा प्रोग्राम श्रीराजेन्द्रप्रवचनकार्यालय के मंत्री श्रीयुत-निहालचंद फोजमलजी के तरफ से रचा गया था।
प्रातःकाल फेरी लगाई गई, मध्यान्ह को साजबाज के साथ गुरुदेव की अष्टप्रकारी पूजा भणाई गई और संघवी के तरफ से श्रीफल की प्रभावना दी गई । व्याख्यान में ही सभा का आयोजन करके, उसमें सब से प्रथम मुनिश्रीविद्याविजयजीने गुरुगुणगर्भित पद्य गा कर मंगलाचरण किया। बाद में मंत्री-निहालचंदजीने 'गुरुजयन्ति मनाने से क्या
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