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मुखिया श्रावकों ने प्रतिष्ठा का लग्नपत्र आपको दिखलाया । आपने उसे देख कर कहा-इस मुहूर्त लग्न में प्रतिमाजी गादीनशीन होते ही झबेरीवाड़ा जल जायगा। यह समा. चार आत्मारामजी के पास भी पहुंचे, पर उन्होंने कुछ ध्यान नहीं दिया। आखिर निर्धारित लग्न में प्रतिमाजी को गादी पर स्थापन करते ही सारा झवेरीवाड़ा जल कर सफा हो गया। आपके कथन की सत्यता सारे शहर में प्रसिद्ध हो गई।
(३) कड़ौद (मालवा) में सेठ खेतावरदा के जिनालय की आप प्रतिष्ठा करा रहे थे । उस समय उत्सबके दरमियान ही चोरोंने सेठ के घर से नेऊ हजार रुपयों की चोरी की । सेठने ये हालात आपसे कहे । आपने कहा घबराओ मत, प्रतिष्ठा के बाद सारा माल सही सलामत घर बैठे आ जायगा, हुआ भी ऐसा ही। चोर पकड़ा गये, राज्य के द्वारा सारा माल वापस सेठ को मिल गया।
(४) आहोर-पूनमियागच्छीय ऋषभजिनालय की अंजनशलाका प्रतिष्ठा, जो बिना मुहूर्त हुई थी, उसके विषय में आपने पहले से ही जो कहा था वही अशुभ परिणाम हुआ जो सर्वत्र प्रसिद्ध ही है।
(५) शिवगंज के चोमासे में ध्यानचर्या में बैठे हुए आपको भावी दुर्भिक्ष का आभास हुआ और उसको आपने
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