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लाभ होता है ? ' इस विषय को बड़ी खूबी से समझाया । फिर जुदे जुदे वक्ताओं के गायन एवं भाषण नीचे मुताबिक हुए ।
है दिन राजेन्द्र - जयन्ती का - आओ सज्जनमित्रो ! यह है, दिन राजेन्द्र - जयन्ती का | गाओ गुरुगुणगरिमा प्यारे !, दिन राजेन्द्र - जयन्ती का || (टेर )
जन्म दिवस का उत्सव उत्सुक, भक्त जहीन मनाते हैं, वे बहुविध गुणमाला गूंथी, चरणे मेट चढ़ाते हैं ।
साज - बाज से धूम-धाम से, गुरुगुण साज सजाते हैं, केशर - माता ऋषभ - तात का, जीवन सफल मनाते हैं ।। ( १ )
पारख गोत्र उपकेश वंशमणि, जन्म भरतपुर पाया है, गार्हस्थ्य धर्म व्रत में रह कुछ, काल सुवास विताया है ।
प्रमोदरि की वाणी सुन कर शुचि वैराग्य जगाया है, यतिधर्म की पहिनी कफनी, भविजन चित्त लुभाया है ॥
( २ )
श्रीपूज्य बने पद पूजाये गुरु, देश विदेश गवाये हैं, धरणेन्द्रसूरि को नवकल में, स्वीकृत फिर करवाये हैं ।
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