Book Title: Meri Golwad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi

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Page 68
________________ हो, परन्तु इसकी भूत-गौरव पूर्ण समृद्धि तो माननी ही पड़ेगी। ऐसा भी माना जाता है कि राणकपुर के भग्न होने पर सादड़ी, घाणेराव, मुडारा, लाठारा आदि वर्तमान नगर ग्राम बसे हैं । इस मत की पुष्टि इन नगरों के स्थलों को भली-भाँति देखने से भी अधिक होती है। जैसे हम सादड़ीनगर की स्थिति से विचार करते हैं तो सादड़ी से लगभग चार फांग के अन्तर पर एक विस्तृततल पर तीन शिखरबद्ध छोटे जिनालय विद्यमान हैं । इनसे दो मील की दूरी पर एक छोटी वापिका तथा प्याऊ है और फिर दो मील के आगे एक वापिका और मिलती है जहाँ आज कल यात्रियों की सुविधा के लिये प्याऊ भी बनी हुई है। इससे लगभग १६ मील की दूरी पर वर्तमान राणकपुर प्रसिद्ध तीर्थ है। इसी प्रकार का सम्बन्ध उपरोक्त सभी नगर ग्रामों से मिलाया जा सकता है । खैर कुछ भी हो, यह तो सिद्ध ही है कि राणकपुर एक समय अति समृद्ध एवं विशाल नगर रहा है । धनाशाहने राणकपुर के बसाने के साथ अन्य चार कार्य प्रारम्भ किये थे-१ वर्तमान त्रैलोक्यदीपक (धरणविहार), २ पौषधशाला जो मुख्यतया सोमसुन्दरसूरिजी के ठहरने के अभिप्राय से बना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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