Book Title: Meri Golwad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi

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Page 57
________________ श्रीऋषभदेवजी, श्रीअजितनाथजी, श्रीनेमिनाथजी, एवं श्रीचन्द्रप्रभजी इन चार जिनेश्वरों की एक-एक प्रतिमा विराजमान है। ४ चतुर्थ मन्दिर में भगवान् श्रीपार्श्वनाथस्वामी की १४ हाथ बड़ी प्रतिमा प्रतिष्ठित है, यह मन्दिर शिखरबद्ध है। ४ श्रीमहावीर-मुछाला-तीर्थ___यहाँ से संघ प्रस्थान कर के नवमी को घाणेराव पहुँचा। यहाँ के श्रीसंघने हमारे संघ का बड़ी सजधज के साथ स्वागत किया। घाणेराव नगर अरवली पहाड़ के पश्चिमी ढाल पर निवसित है। सरकारी दफ्तर, स्कूल और नये बने हुये भवनों की सजावट से शहर की रोनक आकर्षक हो गई है । यहाँ कुल जैन-मन्दिर ११ हैं। इनके अतिरिक्त अन्य संप्रदायों तथा मतों के भी अनेक देवालय हैं । प्रातः एवं सायंकाल घंटारवों के मधुर नाद के स्वरों से युक्त हो कर नगर एक भक्त की वीणा का रूप बन जाता है। मन्दिरों के अतिरिक्त तीन बड़ी धर्मशालायें तथा ४ प्राचीन अर्वाचीन उपाश्रय भी हैं । यहाँ हमको दर्शकों की अधिक भीड़ रहने के कारण इतना अवकाश नहीं मिल सका कि हम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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