Book Title: Meri Golwad Yatra
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi

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Page 41
________________ ३४ ८ गोडवाड - पंचतीर्थी और संघ का निष्क्रमण -- अब हम अपने मनोनीत विषय पर प्रकाश डालेंगे | गोड़वाड़-प्रान्त में वरकाणा, नाडोल, नाङलाई, सुमेर, घाणेराव, सादड़ी, राणकपुर, जूनाखेड़ा प्रमुख एवं अति प्राचीन स्थान हैं । इनका वर्णन हम अपनी तीर्थयात्रा की मिति के क्रमानुसार पाठकों के समक्ष रक्खेंगे । इससे हमारी तीर्थयात्रा का भी पाठकों को कुछ-कुछ परिचय मिल जायगा तथा विषय की व्यापकता बढ़ जाने से कुछ आवश्यक बातों का उल्लेख करने का भी यथोचित अवसर हमे भी मिल जायगा । श्रीसंघ का निष्क्रमण सं० १९९९ मार्गशीर्ष शुक्ला ९ नवमी को भूति (मारवाड़) से हुआ । इस संघ के संघपति शाह देवीचन्द रामाजी ( भूतिनिवासी ) थे । यह संघ कोशीलाव, बरामी गाँवों के संघ - स्वागत को लेता हुआ तथा वहाँ के जिनालयों में धन-प्रदान करता हुआ एकादशी को खिमेल नगर में आया । द्वादशी को प्रातःकाल संघपति के • ओर से तथा सायंकाल को सौधर्म बृहत्तपागच्छीय संघ के ओर से प्रीतिभोजन हुये । त्रयोदशी को संघ रानी - स्टेशन पहुंचा। रानी के जैनबन्धुओंने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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