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उसके लिए मैं उन्हें हार्दिक अभिनंदन देते हुए आनंद का अनुभव करता हूँ। फिर भी भोजन की एकपक्षीय प्रशंसा करने का कोई अर्थ नहीं है। अन्ततः तो भोजन की इस वानगी के स्वाद को चखने के बाद ही वाचक को उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करनी है। मैं तो अपनी तरफ से इतना ही कह सकता हूँ कि आप निराश नहीं होंगें बल्कि आपको कुछ मिलने की परितृप्ति जरूर होगी।
मकरसंक्रांति दि. 14-1-2001 अहमदाबाद - 380 007
___ डॉ. गुणवंतराय जी. ओझा
एम. डी.
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