Book Title: Jain Viro ka Itihas
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Kamtaprasad Jain

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Page 12
________________ ( १३) पंक्ति 22 अशुद्ध शुद्ध राज वलीक थे राजावलीकथे राज वलीक थे राजावलीकथे अप अपने शधरों वंशधरों चेदिवंशज चेदिवंशवर्द्धन खारवेल केपूर्वज खारवेल के पूर्वज भूषिक मूषिक ३३ ५ पाण्डय पारड्य ३३६ खाखल खारवेल भारतोद्धार भारतोद्धारक बोजरधर वाली बजिरघरवाली खारखेल खारवेल माहयमिका माध्यमिका धर्मानुपायी धर्मानुयायी ३५ १३ क्षत्रिय क्षत्रप क्षत्रिय क्षत्रप अधूत अछूत पाल ऑफ पाश्चालय पाश्चाल महेन्द्र महेन्द्र (Menander) शासवाधिकारी शासाधिकारी ४४ १३ सन् १२१६ इसने सन् १२१६ अर्णकुमारपाल अर्ण कुमारपाल ४६८ बद्राड़ वहाड़ ५४ १ श्राश्र श्राश्रय ५४ केवल न केवल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com 008 M.MR"on"

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