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( १५ ) हैहय अथवा कलचूरि जैनवीर । हरिवंश भूषण जैनवीर अभिचन्द्र द्वारा स्थापित चेदिवंश की ही एक शाखा हैहय अथवा कल यूरि थी* । वंश के मूल संस्थापक की भाँति इस शाखा के राजगण भी जैनधर्मानुयायो थे। विक्रम सं० ५५० से ७६० तक इस शाखा के राजाओं का अधिकार चेदिराष्ट्र ( बुन्देलखण्ड ) और लाट (गुजरात) में था । दक्षिण भारत में भो कलचूरि राजालोग सफल शासक थे और वहाँ जैनधर्म के लिए उन्होंने बड़े-बड़े कार्य किये थे।
इस वंश के एक 'राजा शङ्करगण थे। इनकी राजधानी जबलपुर जिले का तेवर (त्रिपुरी) नगर था। यह जैनों में कुलपाक तीर्थ की स्थापना के कारण प्रसिद्ध हैं। किन्तु हैहयों में 'कर्णदेव' राजा प्रख्यात् थे। यह पराक्रमी वीर थे। इन्होंने कई लड़ाइयाँ लड़ी थीं। मालवा के राजा भोज को इन्होंने परास्त किया था । गुजरात के राजा भीम से इनका मेल था। इनका विवाह हूणजाति (विदेशी) की धावल्ल देवी से हुआ था !'
(१६) गुजरात के चालुक्य योद्धा । गुजरात में सन् ६३४ से ७४० तक चालुक्य नरेश शासना *बम्बई प्रा० जैनस्माकं पृ०११३-११४
+भारत के प्राचीन राज-घंकर भा० ११०४०-५० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com