________________
(८० ) क्यों न स्वयमेव मस्तक झुक जाय ? जैनशासन की चमकती हुईं यह मणियाँ मुर्दादिलों में भी धर्मवत्सलता का प्रकाश उत्पन्न किये बिना क्या रह सकती हैं ? सच पूछिये तो
'अबला जनों का आत्म-बल संसार में वह था नया । चाहा उन्होंने तो अधिक क्या,रवि-उदय भी रुक गया।'
ADUA
..
AAVATMAL
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com