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नागपुरीयतपागच्छ, त्रिभवीयाशाखा, पूर्णिमागच्छ, ढं ढेरियाशाखा, सार्धपूर्णिमागच्छ, भीमपल्लीयाशाखा और रत्नपुरीयाशाखा कुल ११ शाखाएँ गच्छों की शाखा के रूप में हैं। इस प्रकार शाखाओं को यदि पृथक् किया जाए तो २७ गच्छ रहते हैं। धन्यवाद
"जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास' के लेखक साहित्योपासक डॉ. शिवप्रसाद इस विषय के सुनिष्णात एवं विद्वान् लेखक हैं, उन्होंने प्राचीन साक्ष्यों एवं विविधगच्छीय पट्टावलियों के आधार पर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास लिखा है। इसके पहले इस प्रकार का कोई प्रयत्न हुआ हो, ऐसा प्रतीत भी नहीं होता है। वस्तुतः इसके लेखक ने इन गच्छों का इतिहास लिखकर गच्छ सम्बन्धी साहित्य पर प्रकाश डालकर एक अभूतपूर्व एवं सराहनीय कार्य किया है। यह मेरे साहित्यिक कार्यों के सहयोगी हैं। भविष्य में भी इस प्रकार का प्रयत्न करते रहेंगे, इसी आशा के साथ...!
समय-समय पर इसके लेखक ने अपने विविध लेखों के द्वारा इस गच्छ का इतिहास लिखना प्रारम्भ किया था जो श्रमण आदि में प्रकाशित होते रहे हैं। पुस्तक रूप में उसके प्रकाशन में श्रुतवारिधि अनुसंधित्सुओं को निरन्तर सहयोग देने वाले प.पू. आचार्य श्री विजयमुनिचन्दसूरिजी महाराज ने रस लेकर जो सहयोग प्रदान किया है इसके लिए वे भी साधुवाद के पात्र हैं।
संवत् २०६७
सा. वा. महोपाध्याय विनयसागर
जयपुर
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