Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 3 Author(s): Mohanlal Mehta Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 9
________________ २७४ २८३ २८५ २८७ २८९ २९३ २९८ ३२१ ३२३ ३२५ ३२७ ( ८ ) ४. आवश्यकचूर्णि ५. दशवैकालिकचूणि ( जिनदासगणिकृत ) ६. उत्तराध्ययनचूर्णि ७. आचारांगचूर्णि ८. सूत्रकृतांगचूर्णि ९. जीतकल्प-बृहच्चूणि १०. दशवैकालिकचूणि ( अगस्त्यसिंहकृत ) ११. निशीथ-विशेषचूर्णि १२. दशाश्रुतस्कंधचूर्णि १३. बृहत्कल्पचूर्णि टीकाएँ १. टीकाएँ और टीकाकार २. जिनभद्रकृत विशेषावश्यकभाष्य-स्वोपज्ञवृत्ति ३. हरिभद्रकृत वृत्तियाँ ४. कोट्याचार्यकृत विशेषावश्यकभाष्य-विवरण ५. गन्धहस्तिकृत शस्त्रपरिज्ञा-विवरण ६. शीलांककृत विवरण ७. शांतिसूरिकृत उत्तराध्ययनटीका ८. द्रोणसूरिकृत ओघनियुक्ति-वृत्ति ९. अभयदेवविहित वृत्तियाँ १०. मलयगिरिविहित वृत्तियाँ ११. मलधारी हेमचंद्रकृत टीकाएँ १२. नेमिचंद्रविहित उत्तराध्ययन-वृत्ति १३. श्रीचंद्रसूरिविहित व्याख्याएँ १४. अन्य टीकाएँ १५. लोकभाषाओं में विरचित व्याख्याएँ अनुक्रमणिका सहायक ग्रन्थों की सूची ३४९ ३५२ ३५८ ३६४ ३६६ ३८५ ४०९ ४१५ ४२० ४३५ ४४१ ५०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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