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दिल्ली की श्रद्धा-भक्ति निहित है, उनके प्रति मैं अपनी मंगल कामना प्रेषित करती हूँ। श्रीयुत् हीरालाल जी जैन, अरिहंत प्रिंट 'एन' ग्राफिक्स, मोहाली वालों का हार्दिक सहयोग तो सदा ही स्मृति में रहेगा, जिन्होंने अथक लगन एवं परिश्रम के साथ इस ग्रंथ को यथाशीघ्र मुद्रित किया। मैं भारतीय विद्या प्रकाशन के मालिक सुश्रावक श्री किशोर चन्द्र जैन जी एवं उनके सुपुत्र सुश्रावक श्री अजीत जैन जी को हार्दिक धन्यवाद देती हूँ जिनके अथक परिश्रम से यह पुस्तक प्रकाशित हो पायी है। जिन श्रमणियों ने परिचय-पत्र प्रेषित कर शोध-प्रबन्ध में सहयोग दिया, उनके प्रति भी मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ ।
मेरे सुप्त मानस को जागृत कर शोध कार्य के लिए प्रेरित करने वाली विदुषी प्रज्ञावंत शिष्या प्रतिभाश्री जी 'प्राची' के अवदान को मैं विस्मृत नहीं कर सकती, साथ ही प्रज्ञाविभूति शिष्या साध्वी प्रियदर्शनाश्री जी 'प्रियदा', विचक्षणाश्री जी, तरूलता श्री जी, देशनाश्री जी आदि जिनके प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहकार से मेरा लेखन कार्य सम्पूर्ण हुआ, उन सबको धन्यवाद एवं शुभाशीर्वाद प्रदान करती हूँ ।
मेरी आदरणीय गुरूवर्या पंजाब प्रवर्तिनी श्री केसरदेवी जी महाराज, अध्यात्मयोगिनी महाश्रमणी श्री कौशल्या देवी जी महाराज, मेरी ज्येष्ठा गुरू भगिनी श्री विमलाश्री जी महाराज, डॉ. श्री सरोजश्री जी महाराज, डॉ. श्री मंजुश्री जी महाराज तथा मेरे संसारपक्षीय पिता अध्यात्मनिष्ठ श्रीमान् आनन्दीलालजी सा. मेहता उदयपुर माता श्रीमती रतनदेवी जी इन सबका वरद आशीर्वाद सदैव मेरे पथ को प्रशस्त करता रहा, उन्हें मैं किसी भी क्षण विस्मृत नहीं कर सकती।
श्रमणियों के इतिहास को समय के अजस्र प्रवाह में पीछे लौट कर पहचानने की इस प्रक्रिया में मुझे अत्यधिक आनन्द की अनुभूति होती रही, साथ ही प्रेरणा भी मिलती रही, उन सब अक्षुण्ण श्रद्धा की कीर्तिस्तम्भ श्रमणियों को मैं प्रणाम करती हूँ। श्रमणियों का यह इतिहास बंधा हुआ सरोवर न होकर स्वच्छ सलिला का प्रवाह है जो यहीं समाप्त नहीं होता, भविष्य में भी यह गंगोत्री अजस्र रूप में प्रवाहित होती रहेगी.........
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अपने श्रम- सीकरों से सिंचित इस शोध-प्रबन्ध को इतिहास प्रेमी / पाठकों प्रबुद्ध मनीषियों के कर-कमलों में समर्पित करते हुए मुझे आत्म परितोष का अनुभव हो रहा है । मैं अपने उद्देश्य में कहाँ तक सफल हुई हूँ, इसका निर्णय उन्हीं पर छोड़कर मैं अपनी लेखनी को यहीं विराम देती हूँ।
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- साध्वी विजयश्री 'आर्या'
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