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जैनधर्म-मीमांसा के तीन भाग
अगर आप जैनधर्म का पूर्ण और वैज्ञानिक परिचय पाना चाहते हैं तो आप जैनधर्म-मीमांसा के तीनों भाग ज़रूर पढ़िये । सत्यसमाज के संस्थापक स्वामी सत्यभक्तजी ने ग्यारह बारह सौ पृष्ठों में जैनधर्म का जैसा सुलझा हुआ सागपूर्ण रूप निचोड़ कर रख दिया है वैसा आपको अन्यत्र कहीं न मिलेगा । कठिन से कटिन विषय को खूब सरल बनाया है और ऐसी ऐसी गुस्थियाँ सुलझाई गई है, जो अभी तक कभी न सुलझी थी। प्रायः हर एक बात में दिगम्बर-श्वेताम्बर ग्रन्थों के हवाले दिये गये हैं ।
प्रथम भाग में धर्म का व्यापक रूप, म. महावीर के पहिले की हालत, म. महावीर का विस्तृत जीवन-चारित्र, उनके अतिशयों आदि की वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या, उनके बाद होनेवाले सम्प्रदाय, उपसम्प्रदाय निहत्र आदि का विवेचना पूर्ण परिचय, सम्यग्दर्शन का सागपूर्ण विस्तृत विवेचन, आदि है ।
दूसरे भाग में सर्वज्ञत्व की विस्तृत आलोचना, ज्ञान के सभी भेद प्रभेदों का विस्तृत वर्णन, अंग पूर्व आदि का रहस्योद्घाटन अनेक चर्चाओं की सुसंगति आदि है।
___तीसरे भाग में समस्त जैनाचार की आधुनिक ढंग से विस्तृत व्याख्या है जो कि आपके हाथ में है ।
रघुनन्दनप्रसाद 'विनीत' मंत्री-सत्याश्रम, वर्धा (सी. पी.)