Book Title: Jain Dharm Darshan Part 05
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 19
________________ 15. पन्द्रहवें अध्ययन में वीतराग के उपदेश से धर्म प्राप्ति होने के लिए नंदी फल का दृष्टांत । 16. सोलहवें अध्ययन में विषय सुख का कटु फल बताने के लिए अमरकंका के राजा और द्रौपदी की कथा है। 17. सत्रहवें अध्ययन में इन्द्रिय विषयों में लिप्तता से होने वाले अनर्थों को समझाने के लिए समुद्री घोड़ो का उदाहरण है। 18. अठारहवें अध्ययन में संयमी जीवन के लिए शुद्ध और निर्दोष आहार निर्ममत्व भाव से करने के लिए सुषमा कुमारी का वर्णन है। 19. उन्नीसवें अध्ययनमें पुण्डरीक और कुण्डरीक का उदाहरण है। इस आगम में कथाओं के द्वारा दया, सत्य, शील, आदि उत्तम भावों पर प्रकाश डाला गया है। दूसरे श्रुतस्कंध में 206 अध्ययन है। उनमें भगवान पार्श्वनाथ के शासन में दीक्षित हुई 206 साध्वियां संयम में शिथिल होकर देवियाँ हुई, इस विषय का संक्षेप में वर्णन है। पहले इस आगम में साढे तीन करोड कथाएं थी। 7. उपासक दशांग - - प्रस्तुत आगम में भगवान महावीर स्वामी के आनंद, कामदेव आदि दस प्रमुख श्रावकों के चरित्र का विवेचन है । इन श्रावकों ने 20-20 वर्ष तक श्रावक व्रतों का पालन किया। इन बीस वर्षों में से साढ़े चौदह वर्ष तक घर में रहे और साढे पांच वर्ष गृहकार्य त्याग कर पौषधशाला में रहकर श्रावक की 11 पंडिमाओं की आराधना की। उपसर्ग आने पर भी वे धर्म से विचलित नहीं हुए। सभी श्रावक एक-एक मास का संथारा करके प्रथम देवलोक में उत्पन्न हुए। सब ने चार-चार पल्योपम की आयु बांधी। सब पहले देवलोक से च्यवकर महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होंगे और मोक्ष को प्राप्त करेंगे। इस सूत्र में श्रावकों की दिनचर्या एवं ऋद्धि-वैभव का भी सुन्दर रुप से विवेचन किया गया है। 8. अन्तकृतदशासूत्र ( अन्तगडदशांग ) यह आठवां अंग आगम है । अन्तकृत अर्थात् संसार का अंत करने वाला। जिन महापुरुषों ने घोर तपस्या तथा आत्म साधना के द्वारा निर्वाण प्राप्त कर जन्म-मरण की परम्परा का अन्त कर लिया, उन्हें अन्तकृत कहते है। उन अर्हतों का वर्णन इस आगम में होने के कारण इसका नाम अन्तकृतदशा है। इस आगम में कुल 90 मोक्षगामी आत्माओं का वर्णन हैं। 9. अनुत्तरोपपातिक दशा नवग्रैवेयक के ऊपर विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित् एवं सर्वार्थसिद्ध ये पांच अनुत्तर विमान है। ये देव विमान सब विमानों में श्रेष्ठतम है। इसलिए इन्हें अनुत्तर विमान कहते है। इस आगम में ऐसी आत्माओं का वर्णन है जिन्होंने इस संसार में तप, संयम आदि उत्तम धर्म का पालन कर अनुत्तर विमान में जन्म लिया। वहां से आयु पूरी कर मनुष्य भव में उत्पन्न होकर मोक्ष को प्राप्त करेंगे। & Priva www.jaintelibrary.org.

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