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10. मरण समाधि : समाधि से मरण कैसे होता है? उसका विधिपूर्वक इसमें वर्णन हैं। आराधना, आराधक, आलोचना इत्यादि का स्वरुप तथा ज्ञान चारित्र में उद्यम, संलेखना विधि, कषाय प्रमादादि त्याग, प्रत्याख्यान पंडितमरण, ध्यान, क्षमापना, अनित्य भावना आदि अनेक विषयों का इसमें समावेश किया गया हैं। अनेक प्रकार के परीषह कष्ट सहन कर पंडितमरण पूर्वक मुक्ति प्राप्त करने वाले अनेक महापुरुषों के दृष्टांत भी दिए गए है।
चूलिका सूत्र लोक व्यवहार में इस शब्द का अर्थ है - चूडा, चोटी मस्तिष्क का सबसे ऊंचा भाग, हिस्सा, पर्वत का शिखर आदि। साहित्य में भी इसी आशय को ध्यान में रखकर चूलिका शब्द पुस्तक के उस भाग अथवा समग्र ग्रंथ के लिए प्रयुक्त किया जाता है, जिसमें उन अध्ययनों या ग्रंथों के लिए होता है जिसमें अवशिष्ट विषयों का वर्णन या वर्णित विषयों का स्पष्टीकरण किया गया हो। इनमें मूल ग्रंथ के विषयों को दृष्टि में रखते हुए तत्सबंद्ध आवश्यकताओं की जानकारी दी जाती है। नंदी सूत्र और अनुयोग द्वार ये दोनों आगम चूलिका सूत्र के नाम से पहचाने जाते हैं। श्वेताम्बर स्थानकवासी एवं तेरापंथी परम्परा में इन्हें इन दोनों आगमों को मूल सूत्र में लिया हैं। ___ 1. नंदी सूत्र : इसमें सर्वप्रथम स्थविरावली का वर्णन है। भगवान महावीर स्वामी के पश्चात् होने वाले उनके पट्टधर आचार्यों का वर्णन है। योग्य-अयोग्य श्रोताओं का कथन है। मति, श्रुत, अवधि मनः पर्यव और केवल इन पांचों ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। शास्त्रों की नामावली भी इसमें दी गई है।
2. अनुयोग द्वार सूत्र : प्रस्तुत सूत्र के रचयिता आर्य रक्षित माने जाते है। इस आगम में विभिन्न अनुयोगों से संबंद्ध विषयों का आकलन है। नय, निक्षेप, प्रमाण, भोग आदि का तात्विक विवेचन है।
इस प्रकार आगमों के इस संक्षिप्त परिचय में प्रत्येक सूत्र की यथासंभव सारगर्भित जानकारी दी गई है।
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