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कूडलेहे
3. अचौर्य अणुव्रत या स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत :
स्वामी के अनुमति के बिना किसी वस्तु को लेना या उपयोग में लाना वस्तुतः चोरी है अतः इसका त्याग अचौर्यव्रत या अदत्तादान विरमण व्रत है।
अदत्तादान चार प्रकार का है।
1. स्वामी अदत्त - मालिक की अनुमति के बिना उसका धन वस्तु आदि लेना ।
2. जीवादत्त - जीव की अनुमति के बिना उसके प्राण आदि का हरण करना ।
3. तीर्थंकर अदत्त - तीर्थंकर परमात्मा ने जिन सावद्य कार्यों को निषेध किया है, वे कार्य करना ।
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4. गुरू अदत्त गुरु की आज्ञा का उल्लंघन करना ।
समझाकर किसी को कुमार्ग पर चलाना ।
5. कूटलेख क्रिया :- झूठे लेख लिखना, झूठे दस्तावेज बनाना, नकली मुद्रा या हस्ताक्षर करना आदि।
जिस अदत्त को ग्रहण करने से समाज में चोर कहा जाता है, राजकीय कानून के अनुसार जो दंडनीय अपराध होता है तथा जिससे समाज में व्यक्ति की बदनामी, निंदा और अविश्वास उत्पन्न होता है उन्हें स्थूल अदत्तादान कहते हैं।
घर की दीवार
में संघ लगाना
दुकान, मकान, का ताला तोड़ना
श्रावक प्रतिक्रमण में स्थूल अदत्तादान के पाँच भेद इस प्रकार बताये हैं :
1. किसी के घर की दीवार तोड़ना ।
2. किसी की जेब काटना या गाँठ खोलकर सामान निकालना ।
3. घर, दुकान आदि का ताला तोड़ना, दूसरी चाबी
लगाना।
4. किसी वस्तु को मालिक विद्यमान होते हुए भी उससे बिना पूछे ही उनकी वस्तु उठाना।
5. डाका डालना, लूट-खसोट करना आदि। ये पाँचों प्रकार के स्थूल अदत्तादान का श्रावक त्याग करता हैं।
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& Private
जेब काटना
SEBREAD
जबर्दस्ती सामान,
गहने आदि
वस्तु छीन लेन
BREAD BREAD
बिना पर्छ छपाकर सामान
श्रीपा