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ज्ञान के साधन शास्त्र, पुस्तकें, ज्ञानदाता गुरु आदि के प्रति सदा आदर भाव रखिए।
ज्ञान प्राप्त करने के लिए विनयशील बनिए, जिज्ञासु रहिए और जहाँ भी जो भी अच्छी बात मिले ग्रहण करें।
ज्ञान की प्रभावना करने में, दूसरों को ज्ञान सिखाने में, ज्ञान के साधनों का प्रसार करने में अपने पुरुषार्थ और लक्ष्मी का उपयोग करते रहें।
कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा का दिन दश करोड़ मुनिवरों के निर्वाण का दिन है, इसलिए पवित्र और स्मरणीय है। असंख्य वर्ष पूर्व, आज के दिन शत्रुंजय गिरिराज पर दस करोड़ मुनिवरों का निर्वाण हुआ था।
शत्रुंजय गिरिराज अनंत आत्माओं की निर्वाण भूमि है। अनन्त आत्माओं ने इस पर अपने भीतर के कामक्रोधादि शत्रुओं पर विजय पाई है और वे सिद्ध बुद्ध मुक्त बने हैं।
इस तीर्थ पर अनेक विद्याधर, नमि, विनमि, शुक्र, शैलक, पंथक, रामचंद्र, द्रविड, वारिखिल्ल, नव नारद और पांच पांडवादि अनेक और अनंत जीवों ने कर्ममल से मुक्ति पाई है।
द्राविड और वारिखिल्ल की कथा :
प्रथम तीर्थंकर प्रभु श्री ऋषभदेवजी के सौ पुत्रों में द्रविड भी एक थे। वैराग्य वासित दब्रिड ने अपने ज्येष्ठ पुत्र द्राविड को मिथिला का विशाल राज्य दिया और वारिखिल्ल को दूसरे एक लाख गांव दिए । द्रविड राजा ने अपने अन्य भाईयों के साथ भगवान ऋषभदेव के चरणों में चारित्रधर्म अंगीकार कर लिया। संयम धर्म की आराधना करके उन्होंने मुक्ति पद का वरण किया।
राजा वारिखिल्ल की लक्ष्मी और कीर्ति दिन प्रतिदिन बढ़ती गई और प्रगति देखकर द्राविड राजा ईर्ष्या और द्वेष की आग में झुलस पड़े। दोनों भाईयों ने परस्पर दोष ढूंढने लगे और प्रचंड युद्ध की योजना बनाने लगे। दोनों तरफ से दस-दस करोड़ सैनिकों की विराट सेना तैयार हुई।
सात महीने तक भीषण
युद्ध चलता रहा। दोनों
पक्षों के 5-5 करोड़ सैनिक मारे गए। अनेका अनेक हाथी और घोड़े भी मौत की घाट उतर गए। वर्षाकाल के कारण युद्ध स्थगित हुआ और उसी समय अपने | महामंत्री विमलबुद्धि से प्रेरित हो राजा द्राविड वन में सुवल्गु नामक ऋषि के
तपोवन में दर्शनार्थ पहुंचे।
FP
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