Book Title: Jain Bauddh Tattvagyan Part 02 Author(s): Shitalprasad Bramhachari Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 9
________________ अर्थात्-इस पाली पिटकोंका बौद्ध धर्म साधारण अबतक प्रचलित बौद्ध धर्मसे मात्र बिलकुल भिन्न ही नहीं है, किन्तु उससे विरुद्ध है। (2) Life of the Budha by Edward J. Thomas M. A. (1927) P. 204. They all agree in holding that primitive teaching must have been something different from what the earliest scriptures and commentatus thought it was. __ अर्थात्-इस बातसे सब सहमत हैं कि प्राचीन शिक्षा अवश्य उससे भिन्न है जो प्राचीन ग्रंश और उसके टीकाकारोंने समझ लिया था। बौद्ध भारतीय भिक्षु श्री राहुल सांक यायन लिखित बुद्धचर्या हिंदीमें प्रगट है। पृ० ४८१ सानगामसुत्त कहता है कि जब गौतम बुद्ध ७७ वर्षके थे तब महावीरस्वामीका निर्वाण ७२ वर्षमें हुआ था। जैन शास्त्रोंसे प्रगट है कि महावीरस्वामीने ४२ वर्षकी आयु तक अपना उपदेश नहीं दिया था। जब गोतम बुद्ध ४७ वर्षके थे तब महावीर स्वामीने अपना उपदेश प्रारम्म किया। गौतम बुद्धने २९ वर्षकी आयुमें घर छोड़ा। छः वर्ष साधना किया। ३५ वर्षकी आयुमें उपदेश प्रारम्भ किया। इससे प्रगट है कि महावीर. स्वामीका उपदेश १२ वर्ष पीछे प्रगट हुआ तब इसके पहले श्री पार्श्वनाथ तीर्थकरका ही उपदेश प्रचलित था। उसके अनुसार ही बुद्धने जैन चारित्रको पाला । जैसी असहनीय कठिन तपस्या बुद्धने की ऐसी आज्ञा जैन शास्त्रोंमें नहीं है। शक्तितस्तफ्का उपदेश Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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