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हिन्दी गद्य निर्माण
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.. राजा भोज का सपना • . [ लेखक--राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द ] .
वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा प्रतापी राजा महाराजा भोज का नाम न सुना हो । उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत में व्याप रही है। , वड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही कॉप उठते और बड़े-बड़े भूपति ।' उसके पॉव पर अपना सिर नवाते, सेनां उसकी समुद्र की तरंगों का नमूना .. और खजाना' उसका सोने-चाँदी और रत्नों की खान से भी दूना । उसके । ____दान ने राजा कर्ण को लोगों के जी-से भुलाया और उसके न्याय ने विक्रम
को भी लजाया । कोई उसके राज्य भर में भूखा न सोता और न कोई
उघाड़ा रहने पाता । जो सत्तु मॉगने श्राता उसे मोतीचूर मिलता और जो . ग़जी चाहता उसे मलमल दी जाती। पैसे की जगह लोगों को अशर्फियाँ बॉटता और मेह की तरह भिखारियों पर मोती बरसाता। एक-एक श्लोक के लिए ब्राह्मणों की लाख लाख रुपया उठा देता और संवा लक्ष ब्राह्मणों को षट्-रस भोजन कराके तब श्राप खाने को बैठता। तीर्थ यात्रा, स्नान, दान और व्रत उपवास मे सदा तत्पर रहता । उसने बड़े-बड़े चांद्रायण किये थे और बड़े-बड़े जगल पहाड़ छान डाले थे।
एक दिन शरऋतु में संध्या के समय सुन्दर फुलवाड़ी के बीच । स्वच्छ पानी के कुण्ड के तीर जिसमें कुमुद और कमलों के बीच जल पक्षी किलोलें कर रहे थे, रत्नजटित सिंहासन पर कोमल तकिये के सहारे स्वस्थचित्त । बैठा हुआ वह महलों की सुनहरी कलसियां लगी हुई सगमर्मर की गुमजियों. के पीछे से उदय होता हुआ पूर्णिमा का चन्द्रमा, देख रहा था और निर्जन