Book Title: Hindi Gadya Nirman
Author(s): Lakshmidhar Vajpai
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 221
________________ २२१ - अवतार] . . ...शानी ने अशानियों और सत्ताधारी नरपशुओं को ललकार कर कहा-"हे - मनुष्य के रूप में मेडियो ! शीघ्र से शीघ्र अपने पापों के लिए रो लो-क्योंकि अब 'वह' श्राने ही वाला है। . हे पागलो ! यह समझकर न ऐंठे रहो कि तुम्हारी सहायता के लिए सेनाएँ हैं, ज्ञान को अशान और अज्ञान को ज्ञान का वेश सजा देनेवाले धूर्त-तक-विद्या विभूषण है बड़ी बड़ी विकराल ज्वाल-प्रसविनी तो हैं, शक्ति है, दरड है, ताप है, तेज है, रूप है, रंग है, बुद्धि है पुरुषार्थ है । श्राह ! न . भूलों इन क्षुद्र ऐहिक विभूतियों पर । इन्हें तो 'वह' इन जरों से पैदा कर ___ सकता है। हाँ, हा विश्वास मानो ! वह जो तुम्हारे कमो का लेखा जाँचने के लिए पा रहा है. ऐसा प्रचण्ड पराक्रमी है।" 'हे मानवता के नीरस तस्त्रो ? सावधान हो जायो-उसके आने के पूर्व हो-और हरे हो पात्रो कालिमा की काई धोकर ! फूल पड़ो, फल दो ! } नहीं तो-मत भलो ! उसकी वह लोह-कुल्हाड़ीतुम्हारी जड़ों ही पर जमी है। तुममें से जो कोई भी हरा न होगा, सरस न होगा, सफल न होगा, सजीवन न होगा-वह टॅगिश्राया जायगा, काटा जायगा, निमू ला जायगा और नरक के __ भाड़ में डालकर युगयुगान्तरों तक जलाया जायगा ।" "अस्तु, हे,दुनियावी सुफैदी के परदे में रेगनेवाले काले सापो ! शीतल जल की तरह मेरे इस मंत्र को अभी से मान लो तथा केंचुल के भीतर भी उज्ज्वल बनो! और नहीं तो 'वह आता ही है । वह ठण्ढा नही, आग है, मन्त्र नहीं, अभिशाप है; शान्ति नहीं, क्रान्ति है-युद्ध है । वह तुम्हें धुओं से चिनगारियों से, गर्म गंधक से, लावा से और आग की लपटों से शुद्ध करेगा। . . "पश्चाताप करो ! पश्चात्ताप करो !! हे शक्ति के मतवालों पश्चा चाप करो, क्योंकि वह पाने ही वाला है।" जिस देश के अवतार की यह कथा है, उस देश पर उन दिनों विदेशी विजताओं का शासन था । वह विदेशी नर नहीं, नराधम थे । नर-पशु थे।

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