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वैष्णवता और भारतवर्ष ] " ., 'हरिः ॐ, (१५) संकल्प कीजिये तो विष्णुः विष्णुः (१७) प्राचमन में विष्णुः 'विष्णुः । (१८) शुद्ध होना हो तो यः स्मरेत पुण्डरीकान । (६) सुग्गे को भी
राम ही राम पढ़ाते हैं । (२१) जो कोई वृतान्त कहे तो उसको राम कहानी कहते हैं लड़कों को बाल गोपाल कहते हैं। (२२) छपने में जितने भागवत, रामायण, प्रेमसागर, ब्रजविलास छापी जाती हैं और देवताओं के चरित्र उतने नहीं छपते । (२३ आर्य लोगों के शिष्टाचार में रामराम, जयश्रीकृष्ण, जयगोपाल, ही प्रचलित हैं।, (२०) ब्राह्मणों के पीछे वैष्णव वैरागी ही को हाथ जाड़ते हैं और भोजन कराते हैं । (२५) विष्णु के साला होने के कारण चन्द्रमा को सभी चन्दामामा कहते हैं। (२६) गृहस्थ के घर पर तुलसी का थाला, ठाकुर की मूर्ति, रसंई भोग लगाने को रहती है। (२७) कथा घाट 'बाट में भागवत ही रामायण की होती है । (२८) नगरों के नाम में भी रामपुर, गोविन्दगढ़, रघुनाथपुर, गोपालपुर आदि ही विशेष हैं। (२६) मिठाई में गोविन्दबड़ा, मोहनभोग आदि नाम है, अन्य देवताओं का कहीं कुछ नाम, . नहीं है । (३०) सूर्य-चन्द्रवंशी क्षत्री लोग श्रीराम कृष्ण के वश में होने का । अब तक अभिमान करते हैं। (३१) ब्राह्मणगण ब्राह्मण देव कह कर अब . तक कहते हैं "ब्राह्मणों मामकीतनुः', । (३२) औषधियों में भी रामबाण, , नारायण चूर्ण आदि नाम मिलते हैं । (३३) कार्तिक स्नान, राधा दामोदर. की पूजा, देखिए भारतवर्ष में कैसी है । (३४) तारकमन्त्र लोग श्रीराम नाम ही । को कहते हैं । (३५) किसी हौस में चले जाइए, तूल के थान निकलवा कर देखिये उस पर, जितने चित्र विष्णु लीला सम्बन्धी मिलेंगे अन्य नहीं। । (३६) बारहों महीने के देवता विष्णु हैं। ऐसी ही अनेक-अनेक बातें हैं । विष्णुसम्बन्धी नामः वहुत वस्तुओं के हैं, कहाँ तक लिखे जॉय । 'विष्णुपद ' (अाकाश), विष्णुरात (परीक्षित), रामदाना, रामधेनु, रामजी की गैया, रामधनु (आकाश धनु), रामफल, सीताफल, रामतरोई, श्रीफल, हरिगीती, रामकली, रामकपूर, रामगिरी, रामगंगा, हरिचन्दन, रामचन्दन, हरिसिंगार, हरिकेल, हरिनेत्र (कमल), हरिकेली (बंगला देशी) हरिप्रिय (सफेद चन्दन), हरिवासर । (एकादशी), हरिबीज । (बग़नीबू), हरिवर्षगड, कृष्णकली,