Book Title: Hindi Gadya Nirman
Author(s): Lakshmidhar Vajpai
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 179
________________ १७६ भीष्माष्टमी] केवल इस शर्त पर करेगा कि उससे जो पुत्र उत्पन्न हो वही राज्य का. उत्तराधिकारी हो। राजा शान्तनु को भीष्म बहुत ही प्रिय थे और वे बड़े पुत्र ये, इस कारण से उन्होंने यह प्रतिज्ञा करना स्वीकार न किया। परन्तु उस सुन्दरी के मोह में जिसका नाम सत्यवती था, वे दिन-दिन दुर्बल और पीले पड़ते गये। ' पिता की यह दशा देखकर भीष्म को चिन्ता हुई और इस रोग का कारण खोजने पर उन्हें वास्तविक बात मालूम हुई। भीष्म तुरन्त ही उस मल्लाह के पास गये और उससे उन्होंने यह प्रतिज्ञा की कि सत्यवती से जो पुत्र होगा वहीं राज्य का उत्तगधिकारी होगा, मैं उत्तराधिकारी न हूँगा। ___मल्लाह ने यह वात तो मान ली परन्तु फिर यह कहा कि "तुमने अपने सम्बन्ध में तो प्रतिज्ञा कर ली कि तुम राज्य न लोगे परन्तु यदि तुम्हारे पुत्र हुए और उन्होंने राज्य छीन लिया तब हम क्या करेंगे ?” इस बात को सुनकर भीष्म ने उसी समय यह कठिन प्रतिज्ञा की कि "हम आजन्म ब्रह्मचारी रहेंगे, त् अपनी पुत्री का विवाह पिता जी के साथ कर दे।" , पितृभक्ति का कैसा अच्छा उदाहरण हमको इससे मिल रहा है । परन्तु इस प्रतिमा करने से भी बढ़कर प्रतिशा पालन करने की रीति थी। जिस भौति भीष्म ने सत्यवती के पुत्रों की रक्षा और उनके साथ स्नेह किया वह हमें प्रतिशा-पालन की उत्तम शिक्षा दे रहा है। सत्यवती ने अपने पुत्रों के मरने पर स्वयं भीम से बहुत अनुरोध किया कि वह वंश चलाने के लिये अपना विवाह करें परन्तु दृढ़प्रतिज्ञ भीष्म की प्रतिज्ञा नहीं टल सकती थी। एक वार जो व्रत किया, मृत्यु के दिन तक निवाहा, राज्य रहे चाहे न रहे, वंश चले या न चले, वीर भोग्म की प्रतिज्ञा अटल है । उसका तोड़ना किसी प्रकार सम्भव नहीं है। पाठकगण, अव आप महाभारत का दूसरा चित्र अपनी आँखों के सामने खींचे जब कि वृद्ध भीम संग्राम-भूमि में अजेय रथं पर चढ़े सूर्य के समान प्रकाशमान हो रहे हैं और क्षत्री धर्म का निर्वाह करते और वाणों की वर्षा करते पाण्डवों की सेना का संहार कर रहे हैं। महाभारत को प्रारम्भ हुए

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