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[हिन्दी-गद्य-निर्माण सृष्टि उनके अनवरत अभ्यास, अध्ययन और मनोऽभिनिवेश का फेल अंग्रेजी में एक शब्द है-(Mystic या Mystical) पण्डित मथुराप्रसाद मिश्र ने, अपने त्रैभाषिक कोश मे, उसका अर्थ लिखा है-गूढार्थ, गुह्य, गुप्त, गोप्य
और रहस्य । कुछ लोगों की राय में रवीन्द्रनाथ की यह नये ढङ्ग की कविता इसी 'मिस्टिक' शब्द के अर्थ' की द्योतक है। इसे कोई रहस्यमय कहता है, . कोई गूढाथवोधक कहता है और कोई छायावाद की अनुगामिनी कहता है। छायावाद से लोगों का क्या मतलब है, कुछ समझ में नहीं आता। शायद उनका मतलब है कि किसी कविता के भावों की छाया यदि कहीं अन्यत्र जाकर पड़े तो उसे छायावाद-कविता कहना चाहिये।
कुछ शब्दों मे विशेष प्रकार की शक्ति होती है। कभी-कभी एक ही शब्द या वाक्य से कई अर्थ निकलते हैं। ऐसे अर्थों की वाच्य, लक्ष्य और व्यड ग्य संज्ञा है । वाक्य से तो साधारण अर्थ का ग्रहण होता है, लक्ष्य और, व्यङ्ग से विशेष अर्थों का । पर रहस्यमयी कविता को श्राप इनः अर्थों से परे समझिए । एक अलङ्कार का नाम है-सहोक्ति । जहाँ वयं विषय के सिवा किसी अन्य विषय का भी बोध साथ ही साथ होता जाता है वहाँ वह अलङ्कार माना जाता है । महाकवि ठाकुर की कविता इस अलङ्कार के भी भीतर नहीं पाती । संस्कृत-भाषा में कितने ही 'काव्य ऐसे हैं जो श्राद्योपान्त द्वयर्थक हैं । वर्णन हो रहा है हरि का, पर साथ ही अर्थ हर का भी निकलता जाता है। काव्य लिखा गया है राघव के चरित्र-चित्रण के सम्बन्ध में: पर करता चला जा रहा है पाण्डवों के भी चरित का चित्रण | इस तरह के भी काव्या की कथा के भीतर कविवर ठाकुर की कविता नहीं पाती। उस तरह की अटपटी कविता आती किसके भीतर है यह वात कवियों का यह किङ्कर नहीं, बता सकता । वताने, की सामर्थ्य उसमे नहीं। जिसे इस कविता का रहस्य जानना हो वह बँगला पढ़ , कुछ समय तक उस भाषा में लिखे गये काव्यों का अध्ययन करे, तव यदि वह इसकी गुप्त, गूढ़ वा छायामयी कविता पर
कुछ कह सके तो कहे। रहीम पर कुछ कहना हो तो राम का चरित गान ____ करो, अशोक पर कुछ लिखना हो तो सिकन्दर के जीवन-चरित की चर्चा