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(भांका) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (कागळ)
प्रत नाम
स्थिति
प्रतिलेखन वर्षा पत्र
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे.पत्र/ो.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष माप पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
परिमाण
रचना वर्षआदिवाक्य
भांताका-१३८ की पुष्पिका में 'इति श्री जल्पमंजरी कृता तपागच्छाधिराज श्रीसोमसुन्दरसूरिशिष्य पूज्य श्रीसुधानन्दनसूरिशिष्येण" एवं जिनरलकोश में सुधानन्दनसूरि शिष्य जिनसूर का स्पष्ट उल्लेख है. जैन आत्मानन्द सभा भावनगर से प्रकाशित पुस्तक में प्राच्यमुनिपुंगवविरचिता (?) तथा प्रस्तावना में कर्ता अज्ञात का संपादक श्री ने जिक्र किया है. (जुना नं. १८८६-९२/१२१३).(१०.१४४.३, १४४५२)... गाथा-११४० थी ११९० सुधी मळे छे.
जीर्ण
संपूर्ण
१६२
१३९ । ओघनियुक्ति टीका सहित
ओघनियुक्ति
कागजवि . १४३६ गा. ११६३ :गं. १४३२
८५(१०९)...... :पद्य
भद्रबाहुस्वामी
दविहोवक्कमकालो सामा
ग्र.७०००
गद्य
ओघनियुक्ति-वृत्ति १४०: पञ्चकल्पसूत्रवृहद्भाष्य
द्रोणाचार्य जीर्ण
संपूर्ण
कागज
८५(५८)
(जुनो नं.१८८६-९२/१२७९)सूचीपत्रक्रम-१-५८८. गाथा-२५७४ व श्लोकग्रन्थान-३१८५..(१०.१४४.१, १३४४४)
पञ्चकल्पसूत्र-महाभाष्य
: सयदास गणि
प्रा.
वन्दामिभहवाह
पद्य
क्षमाश्रमण
गा.२५७४ ग्रं.३१२५ कागज
१४१ दशवैकालिकसूत्रचूलिकायुगलावचूर्णि
संपूर्ण
८५(१४)
(जुनो नं. १८८६-९२/१२६२)सूचीपत्र नं.१-७२७., (१०x४, १९४५६)
धम्मो. धर्म उत्कृष्ट
गद्य
दशवैकालिकसूत्र-चूलिकायुगलावचूर्णि
अक्षरार्थगमनिका १४२ दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति
श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागजवि . १४९२
१०
८५(६)
(जुनो नं. १८८६-९२/१२६१)सूचीपत्र नं.१-७१०. गाथा-४४८. श्लोक-५५८., (१०x४.५, १७४५६) गाथा संख्यामां थोडंक वैविध्य मळे छे.
दशवैकालिकसूत्र-नियुक्ति
भद्रबाहुस्वामी
प्रा.
गा.४४० ग्रं.
सिद्धगतिमुवगयाणं
पद्य
१४३ : संयममञ्जरी
जीर्ण
संपूर्ण
कागज
१४८
८५(१०१)
नथी. ग्रन्थ
(जुनो नं. १८८६-९२/१३५९)४५,४७, नथी.
महेश्वरसूरि
गा.३५
नमिऊण नमिरतियसिन्द
अपनं. प्रतिपूर्ण
पद्य ८५(१०)
जीर्ण
कागज
१३
(जुनो नं. १८८६-९२/०)भण्डारसंदर्भाक-?/८६-९२
संयममञ्जरीप्रकरण १४४ : उत्सर्गापवादवचनैकान्तोपनिषत्सुविद्यातत्वे
भारतीयोपदेश - १२ से १३ अध्याय उत्सर्गापवादवचनैकान्तोपनिषत्सुविद्यातत्वे..
समुलसत्वन्दनाचलति
गद्य