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अड़बंग-अति-उत्पादन अड़बंग,अड़बंगा-वि० टेढ़ा, विकट विलक्षण बेढब, टेढ़े परमाणुओंका संघात; परमाणु; कण, जर्रा; मात्राका मिजाजवाला।
चतुर्थांश ( छंद); वि० अतिसूक्ष्म ।-बम-पु० एक अति अडर*-वि० निडर ।
संहारकारी बम । -वाद-पु० जीवको अणु माननेवाला अड़सठ-वि० साठ और आठ । पु० ६८ की संख्या। दर्शन, वल्लभाचार्यका मत; अणुको नित्य और प्रपंचका अड़हुल-पु० लाल रंगका एक फूल, जपाकुसुम ।
कारण माननेवाला सिद्धांत, न्यायवैशेषिक दर्शन । अड़ाअड़ी-स्त्री० होड़, लाग-डाट ।
-वीक्षण-पु० सूक्ष्मदर्शक यंत्र, खुर्दबीन अढ़ाद-पु० चौपायोंको रखनेका घेरा, खरक; अडार । अतंक*-पु० दे० 'आतंक'। अड़ान-पु० रुकनेकी जगह पड़ाव ।
अतंत्र-वि० [सं०] तंत्र या तंतु-रहित । पु० अनिअड़ाना-स० क्रि० रोकना, अटकाना; डाट लगाना; यंत्रित कार्य । ह्सना, ढरकाना । पु० एक राग; डाटा थूनी, चाँड। | अतंद्र-वि० [सं०] तंद्रारहित, जागरूक, सतर्क। अड़ानी-पु० बड़ा पंखा । स्त्री० कुश्तीका एक पेंच, अडंगा। अतंद्रित,-ल, अतंद्री (दिन् )-वि० [सं०] दे० 'अतंद्र'।
लकड़ीकी रोक जो खिड़की-दरवाजेमें लगायी जाती है। । अतः-अ० [सं०] इसलिए, इस कारण; अबसे; इस स्थानसे; अड़ायती*-वि० आड़ करनेवाला।
___ इससे, इसकी अपेक्षा। अडार-पु. ढेर; जलानेकी लकड़ीका ढेर; लकड़ीकी अतएव-अ० [सं०] इसलिए, इस कारण; इसीसे । दुकान । * वि० नुकीला; तिरछा।
अतथ्य-वि० [सं०] असत्य, अयथार्थ, गलत । अड़ारना*-स० क्रि० डालना; देना ।
अतद्गुण-पु० [सं०] एक अर्थालंकार जिसमें संगति आदि अडिग-वि० जो अपनी जगहसे डिगे, हिले नहीं, अटल । । कारण मौजूद होते हुए दूसरेका गुण ग्रहण न करना अड़ियल-वि० अड़कर चलनेवाला; मट्टरः हठी।
दिखाया जाता है। अड़िया-स्त्री० साधुओंकी कुबड़ी।
अतनु-वि० [सं०] देहरहित; मोटा । पु० कामदेव । अड़ी-स्त्री० दे० 'अड़'; जरूरतका वक्त
अतप्त-वि० [सं०] जो तपा या गरम न हो। अडीठ-वि० जो दिखाई न दे गुप्त ।
अतर-पु०इत्र,पुष्पसार ।-दान-पु०अतर रखनेका पात्र । अडूलना*-स० कि० ढालना, उड़ेलना।
अतरल-वि० [सं०] जो तरल या द्रव न हो, गाढ़ा, ठोस । भडूसा-पु० एक पीधा जिसके पत्तों और फूलोंका रस अतरसों-अ० परसोंके बाद या पहलेका दिन, आजसे कास-श्वासका उत्तम औषधि है।
बादका या पहलेका चौथा दिन । अडोर*-पु० शोर-गुल, अंदोर ।
अतरिख-पु० दे० 'अंतरिक्ष'। अडोल*-वि० अटल, अडिग; स्तब्ध ।
अतर्क-वि० [सं०] तर्कहीन, असंगत, अहेतुक । पु० तर्कका अड़ोस-पड़ोस-पु० आस पास, पास-पड़ोस ।
अभाव; तकहीन बहस करनेवाला। अड़ोसी-पड़ोसी-पु० पास-पड़ोसमें रहनेवाले ।
अतर्कित-वि० [सं०] अनसोचा, अननुमित; आकस्मिक । अडा-पु० मिलने या इकट्ठा होनेकी जगह; चोरों, जुआ- अतयं-वि० [सं०] तक न करने योग्य; अचिंत्य ।
आदिके मिलनेकी जगह; कुटनियोंका डेरा; अतल-पु० [सं०] सात पातालोंमेंसे पहला; शिव । वि० डोली ढोनेवाले कहारोंके रहनेका स्थान; इक्कों, ताँगों तलहीन, अथाह । आदिके रुकने, ठहरनेकी जगह; किसीके उठने-बैठनेकी अतलस-पु० एक तरहका रेशमी कपड़ा। खास जगह; केंद्रस्थान; पिंजड़ेके भीतर चिड़ियाके बैठनेके अतवान*-वि० बहुत अधिक । लिए लगी आड़ी लकड़ी या छड़, कबूतरोंकी छतरी; अताई-वि० जिसने खुद सीखा हो, जो बिना सीखे हुए कपड़ेका गद्दा जिसपर छीपी कपड़ा रखकर छापते हैं; कोई काम करे; चतुर, चालाक; दक्ष, अनाड़ी, जिसे जुलाहेका करधा; जाली काढ्नेका चौखटा; वह पाई जिस- ईश्वरकी देनके रूपमें कोई विद्या प्राप्त हुई हो (व्यंग्य)। पर बैठकर गोटा बुनते हैं ।
पु० वह गवैया या वैद्य जिसने अपने कामकी शिक्षा न अदतिया-पु० आढ़तका कारवार करनेवाला; एजेंट । पायी हो। -नुस्खा-पु० फकीरी नुस्खा; इधर-उधरसे अढ़वना*-स० कि० आशा देना।
सीखा हुआ नुस्खा। अढ़वायका-पु० वह व्यक्ति जो दूसरोंको काम करनेमें अतापी-वि० तापरहित; शांत । नियुक्त करता हो।
अतारांकित प्रश्न-पु० (अन-स्टार्ड क्वेश्चन) विधानसभा अढ़िया -स्त्री० काठ या पत्थरका बना छोटा बरतना आदिके अधिवेशनमें प्रश्नोत्तरके समय पूछा जानेवाला गारा आदि ढोनेकी लोहेकी हलकी छोटी कड़ाही। वह प्रश्न जिसमें तारांक लगाकर विभेद न किया गया हो अदुकना*-अ० क्रि० ठोकर खाना सहारा लेना।
और जिसका उत्तर मौखिक न देकर लिखित दिया जाय । अया-पु० ढाई सेरकी तौल या बाट; ढाई गुनेका पहाड़ा। अति-अ० [सं०] एक उपसर्ग जो संशाके पूर्व आनेपर अतिअणिमा (मन)-स्त्री० [सं०] अणुत्वः सूक्ष्मता; योगकी | शयता, सीमोलंघन, श्रेष्ठता, प्रशंसा आदिका और विशे८ सिद्धियोंमेंसे पहली जिससे योगी अणुरूप ग्रहण कर षण तथा अव्ययके पूर्व आनेपर आधिक्यका सूचन करता अदृश्य हो सकता है।
है । स्त्री० अधिकता, अतिशयता, अतिरेक; सीमोल्लंघन । अणु-पु० [सं०] पदार्थका सबसे छोटा इंद्रिय-ग्राह्य विभाग | अति-उत्पादन-पु० (ओवर-प्रोडक्शन) खपत या माँगसे जो मौलिक वस्तुके गुण रखता है (मॉलेक्यूल); ६० | अधिक मात्रामें पण्य वस्तुओंका उत्पादन ।
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