Book Title: Gautam Charitra
Author(s): Dharmchandra Mandalacharya
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ १२ गौतम चरित। लाता है । संवेग, निर्वेद, निंदा, गर्दा, शम, भक्ति, वात्सल्य और कृपा ये आठ सम्यग्दर्शनके गुण हैं । भूख, प्यास, वुढ़ापा, द्वेप, निद्रा, भय, क्रोध, राग, आश्चर्य, मद, विषाद, पसीना, जन्म, मरण, खेद, मोह, चिन्ता, रति ये अठारह दोष हैं। सर्वज्ञ देव इन दोषोंसे सर्वथा रहित होते हैं । आठ मद,, तीन मूढ़ता, छः अनायतन और शंका कांक्षा आदि आठ दोष मिलकर सम्यग्दर्शनके पच्चीस दोष हैं । द्यूत, मांस, मद्य, वेश्या, परस्त्री, चोरो और शिकार ये सप्त व्यसन हैं । वुद्धिमानोंको इनका भी त्याग कर देना चाहिए । मद्य, मांस, मधुके त्याग और पंव उदुम्बरोंके त्याग ये आठ सूलगुण है। प्रत्येक गृहस्थके लिए इन मूल गुणोंका पालन करना बहुतही आवश्यक है। मद्यका त्याग करने वालेको छाछ मिले हुए दूध, वासी दधी आदि का भी त्याग कर देना चाहिये । इसी प्रकार मांसका त्याग करने वाले के लिए चमड़े में रखा हुआ धी, तैल, पुष्प, शाक मक्खन, कंद मूल और धुना हुआ अन्न कदापि नहीं खाना चाहिए । धर्मात्मा लोगोंके लिए बैगन, सूरन, हींग, अदरक और विना छना हुआ जल भी त्याज्य है । अज्ञात फलोंको तो सर्वथा त्याग कर देना ही चाहिए। ऐसे ही बुद्धिमान लोगोंको चाहिए कि वे मधुका परित्याग कर दें। कारण शहद निकालते समय अनेक जीवोंका घात होता है। उसमें मक्खियोका रुधिर और मैला मिला हुआ. होता है। इसलिए वह लोकमें निन्दनीय है। इसके अतिरिक्त श्रावकोंको दर्शन, व्रत, सामायिक, प्रोषधोपवास; सचित्त त्याग, रात्रिभुक्ति त्याग, ब्रह्मचर्य, आरम्भ त्याग परिग्रहत्याग,

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115