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गौतम चरित्र। इसीलिए वह राजा शत्रुओंके लिए अजेय हो रहा था। वह . विश्वके सभी राजाओं में श्रेष्ठ गिना जाता था। नीति निपुण रूपवान मिष्टभाषी और प्रजाहितैपी था। उसके सिंहासनारोहणके वादसे ही राज्यकी सारी प्रजा सुखी धर्मात्मा और दानी हो गयी थी। ___ राजाकी विशालाक्षी नामकी पत्नी थी, जो अत्यन्त रूपवती और प्रेमकी प्रतिमूर्ति थी। वह इन्द्राणी, रति नागस्त्री और देवांगनाओं जैसी रूपवती जान पड़ती थी। रानी की गति मदोन्मत्त हाथियोंकी तरह थी। इसकी अंगुलियों के बीसों नख द्वितीयाके चन्द्रमा के समान बड़े ही मनोहर और भव्य जान पड़ते थे । उसकी जांघ केलेके स्तंभ की तरह सुको. मल और कामोद्दीपक थी। वह रानी अपने मनोरम कटिप्रदेशकी सुन्दरतासे सिंहके कटिप्रदेशकी शोभाको हरण कर लेती थी। यदि ऐसा न होता तो सिंहको गुफाओंकी शरण नहीं लेनी पड़ती। उसकी नाभी गोल, मनोहर एवं गंभीर थी। वह काम रस (जल) से भरी हुई नायिकाकी भांति प्रतीत होती थी। उसके कुच विल्बफलके समान कठोर थे। वह कामीजनोंके हृदयको जीतने वाली थी। उन कुचोंके मध्य रोमराशि ऐसी प्रतीत होती थी मानों दोनोंके विरोधको दूर करनेके लिए सीमा निर्धारित कर रही हों । गनीके हाथोंकी दोनों हथेलियां लाल कोमल और सुन्दर थीं। उन पर मछली ध्वजा आदिके आकर्षक चिन्ह बने हुए थे। वह अपनी मुखाकृतिसे आकाशक चन्द्रमाको.भी लज्जित करती थी। इसीलिए चन्द्रमा