Book Title: Gautam Charitra
Author(s): Dharmchandra Mandalacharya
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya

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Page 96
________________ ▼ ६२: गौतम चरित्र | वीतने पर श्री. एक हजार करोड़ दो हजार वर्ष मल्लिनाथ और उनके मोक्षके चौवन लाख वर्ष बीत जाने पर श्री मुनिसुव्रत हुए थे । ऐसे ही श्री मुनिसुव्रतके मोक्षके पश्चात् ६ लाख वर्ष बीत जाने पर श्री नमीनाथ हुए थे । इनके बाद पांच लाख वर्ष व्यतीत होने पर श्री नेमिनाथ : उत्पन्न हुए । इनके तिरासी हजार सातसौ वर्ष व्यतीत होने पर श्री पार्श्वनाथ अवतरित हुए थे । और इनके ढाईसौ वर्ष बीत जाने पर श्रीबद्ध मान स्वामीका आविर्भाव हुआ थो । क्रमसे तीर्थंकरोके शरीरकी ऊंचाई पांचसौ धनुप, चारसों पचास धनुष, चारसौ धनुष, तीनसौ पचास धनुष, तीनसौ धनुष, दो सौ पचास धनुप, दो सौ धनुष, एकसौ पचास धनुष, सौ 'धनुष, नव्वे धनुष, अस्सी धनुष, सत्तर धनुष, साठ धनुष, पचास धनुष, चालिस धनुष, पैतीस धनुप, तीस -धनुष, पच्चीस धनुष, बीस धनुष, पंद्रह धनुष, दश धनुष, नव हाथ और सात हाथकी थी। चौबीस तीर्थंकरोंमें श्री पद्मप्रभ और वासुपूज्यका वर्ण लाल था, श्री नेमिनाथ और मुनिसुव्रत श्यामवर्ण के थे, सुपार्श्वनाथ और पार्श्वनाथ हरित वर्णके तथा अन्य सोलह तीर्थंकरोंका वर्ण तपाये हुए स्वर्ण के समान था । कमसे बैल, हाथी, घोड़ा, बंदर, चकवा, कमल, स्वस्तिक, चन्द्रमा, मगर, वृक्ष, गैंडा, भैंसा, शकर, सेही, वज्र, हरिण, बकरा, मछली, कलश, कछवा, नील कमल शंख, सर्प, और सिंह ये इनके चिन्ह है। अयोध्या कौशाम्बी काशी, चन्दपुर काकंदी भद्रपुर, सिंहपुर, चंपापुर

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