________________
ran
,
. ..
.....
•~~
~~.........
. n
or.muvi.
१०२
गौतम चरित्र। उनमें थी ही नहीं। जिन्हें त्रैलोक्यके जीव नमस्कार करते हैं,जो अनन्त चतुष्ठयसे भूषित हैं, उन गौतम स्वामीने लमस्त प्रकृतियोंको विनष्ट कर मोक्षरूपी स्त्रीकी प्राप्ति की। मुक्त होनेके बाद वे सिद्ध अवस्थामें जा पहुंचे। उनकी विशुद्ध आत्मा शरीरसे कुछ कम आकारकी, अप्टकर्मोंसे रहित तथा सम्यग्दर्शन आदि अष्ट गुणोंसे सुशोभित है। वे लोक शिखर पर विराजमान विदानन्द मय और सनातन ज्ञान स्वरूप है। सदा वे नित्य और उत्पाद व्यय लहित हैं। .
गौतम स्वामीके मोक्ष जानेके पश्चात् इन्द्रादिक देवोंका आगमन हुआ। उन्होंने मायामयी शरीर धारण कर कपूर चन्दनादि ईधनके द्वारा उनके शरीरको भस्म किया, मोक्षकल्याणकका उत्सव सम्पन्न किया और माथे पर भस्मका लेपन किया। इस प्रकार वे वार वार नमस्कार कर अपने २ स्थानको चले गये।
इस ओर गौतम स्वामीके अग्निभूत और वायुभूति दोनों भाई पांचसौ ब्राह्मणोंके साथ तपश्चरण करने लगे। दोनों भ्राताओंने घातिया कर्मोका नाश कर अनेक भव्यजीवोंको धर्मोपदेश दिया और अन्तमें समस्त कर्मोको विनष्ट कर मोक्ष प्राप्त किया। उन पाँचसौ ब्राह्मणोंमें से अनेक सर्वार्थसिद्धिमें और अनेक स्वर्गमें उत्पन्न हुए। सत्य है, तपश्चरणके द्वारा सब कुछ संभव है। . गौतम गणधर स्वामीके :गुणोंका वर्णन करना जव वृहस्पतिके लिए भी संभव नहीं तब भला मैं अल्पज्ञानी उनके