Book Title: Gautam Charitra
Author(s): Dharmchandra Mandalacharya
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya
View full book text
________________
६४
. गौतम चारवः। देवी नाम हैं । ये भी क्रमसे मोक्ष प्राप्त करेंगी। ऐसा सर्व देव ने कहा है। __ भरत, सगर, मघवा, सनत्कुमार, शान्तिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, सुभूम, महापद्म, हरिषेण जय और ब्रह्मदत्त ये द्वादश चक्रवतियोंके नाम हैं । ये भरत क्षेत्रके छः खण्डोंके नौ निधि और चौदह रत्नोंके स्वामी होते हैं । अनेक देव और राजा इनके चरण कमलोंकी सेवामें संलग्न रहते हैं। चक्रवतियोंके. पास रहने वाली नौ निधियोंके ये नाम हैं-पांडुक, माणव, काल, नैःसर्प, शंख, पिंगल, सर्वरत्न, महाकाल और पद्म तथा चक्र, तलवार काकिणी, दण्ड, छत्र, वर्म, पुरोहित गृहपति, स्थपति, स्त्री हाथी मणि, सेनापति घोड़ा ये चौदह रत्न है। उक्त बारह चक्रवतियों में सूभूम और ब्रह्मदत्तको नरककी प्राप्ति हुई थी, मघवा और सनतकुमार स्वर्ग गये और अन्य आठ चक्रवतियों को मोक्षकी प्राप्ति हुई । इनके होनेका समय इस प्रकार है -
प्रथम चक्रवर्ती श्री ऋषभदेव के समय में दूसरा अजितनाथके समयमें तीसरे और चौथे ये दो श्री धर्मनाथ और शान्तिनाथ के मध्यकालमें हुए थे। पांचवें शान्तिनाथ थे और छवें कुथु. नाथ थे और सातवें अरनाथ थे। आठवां चक्रवती अरनाथ
और श्री मलिनाथके मध्यमें हुआ था नौवां मल्लिनाथ और सु. वृतके. मध्यमें, दशा सुव्रतनाथ और नेमिनाथके मध्यकालमें ग्यारहवां नमिनाथ और नेमिनाथके मध्य कालमें तथा बारहवां चक्रवर्ती नेमिनाथ और श्री पार्श्वनाथके मध्यकालमें हुआ।
अश्वग्रीव, तारक, मेरु निशुभ मधुकैटभ, वलि प्रहरण

Page Navigation
1 ... 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115