Book Title: Digambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 21
________________ अंक १] > दिगंबर जैन र करीशुं. हवे आ संस्थाना सेक्रेटरी साहु २७-२८ नवम्बरको प्रयाग निवासी जुगमंदरदासजी नजीबाबाद (बीजनोर) पंडित श्रीधर पाठकजीके सभापतित्वमें नीमाया छे माटे कंईपण मदद मोकलनारने होनेवाला है, जिसमें हिन्दी साहित्य प्रेमी हवे नजीबाबाद मोकलवानी सगवड थई छे. जैनीयोंने भी अवश्य योग देना चाहिए ! से सास छनीय:-मीया- शोकजनक मृत्यु और रु. ५५०१) તજવાળા આશાલાલ પરસે તમદાસ છ વર્ષ अभ्यास ४२वा पछी सास से.. आस छ सिंघई कालूरामजीका ९० वर्षकी वयमें જીનીયરની પરીક્ષામાં મુંબઈમાં પાસ થયા છે. વીસામેવાડા જ્ઞાતિમાં આવી પરીક્ષા પસાર स्वर्गवास हो गया । आपने अंत समयमें કરનાર આ બંધુ પ્રથમજ છે. ५५०१) रुपयाका निम्न प्रकार दान स्त्रीयोंको पूजन करनेका अधिकार किया है-५०००) जैनधर्मामृतवर्द्धनी क्या नहीं है ?:-बड़ौत ( मेरठ )में कुछ पाठशाला-खुरई, १०२) दोनों मंदिरजीभाईओंने विरोध किया है कि स्त्रीयां जिन खुरई, ५१) भारत. दि.जैन महाविद्यालयभगवानका पूजन नहीं कर सकती। उनसे मथुरा, ११) जैन सिं. पाठशाला-मोरैना, कहा गया कि-जैनशास्त्रोंमें तो बहोतसी ११) सर्तकसुधा-पाठशाला-सागर, ११) जगह स्त्रीयोंके पूजन करनेका वर्णन है तो ललीतपुर पाठशाला, ११) बीना पाठशाला, उत्तर दिया कि वह चोथे कालकी स्त्रीयोंके ११) जैनगजट, ११) श्राविकाश्रम बम्बई, लिये है आदि । यह उत्तर मूर्खताका है। १५०) खुरई में पुराना मंदिरके लिये, ५) नीयोंको प्रतिमा पूजन करनेका आधकार जैनमित्र, ५) दिगंबर जैन और शेष तीर्थों शास्त्रोक्त है और इसमें बड़ौतके भाईओंने पर भेजे गये हैं । धनवानोंने इस माफिक विरोध नहीं करना चाहिए। ही मृत्युके स्मरणार्थ दान करते रहना चाहिए। ભાવનગરમાં પાઠશાળા-ભાવનગર ૨માં સ્વર્ગવાસી શા. મુલચંદ ગુલાબચંદ टथी ३ कोस पर अतिशय क्षेत्र पवाजीमां पायानी विधा भएमा १२५ था पाता। कार्तक वद १ थी ५ सुधी राबेतानो सय पुत्री सताना २मा आशा सह मेळो भरायो हतो अने धर्मोपदेश अपायो ૫ ને દીને પાઠશાળાની સ્થાપના વિધિપૂર્વક , अने तेनु नाम 'सत-डे-लि. જૈન પાઠશાળા, રખાયું છે. એની વ્યવસ્થા पण कार्तकी पुनेम पर मेळो भरायो हतो. भारे भाटा नाममा मापी छ भने खास २५ વિવાથીએ શિક્ષણ લઇ રહ્યા છે. હવે આ .. लखनउभें साहित्यसम्मेलनः-पंचम પાઠશાળાની સ્થાયી નિભાવમાટે કાઢેલી રકમની हिन्दीसाहित्यसम्मेलन लखनउमें ता. २. पी व्यवस्था यानी १३२ . मा स्थापना

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