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१२० MB सचित्र खास अंक. K.
वर्ष ८] गा, सुख और शांति प्राप्त नहीं हो साथमें मैं स्कूल इन्सपेक्टरान् व टीचरासकती।
नका भी इस तरफ चित्त आकर्षित करता दयाधर्मकी शिक्षा बतलाती है:-
हूं कि यदि प्रान्त २ के हरएक स्कूलोंमें
. प्रारंभिक श्रेणीसे लेकर उच्च श्रेणी तक - प्राणीमात्र किसीको मत सताओ, सब
सप अन्य शिक्षाके साथ २ दयामयी शिक्षाका जीवोंको अपने मित्र समझो, दुसरेकी जान- कोर्स प्रविष्ट हो जावे और मास्तर लोग को अपनी जानके माफिक समझो,झूठ,कठोर, अपने हार्दिक प्रेमसे दयामयी शिक्षाका दुसरेको वाधा पहुंचानेवाले बचन कभी उन सुकुमार बालकों के हृदय पर अंकुरान बोलो, चोरी, डकैती मत करो, पर स्त्रीको रोपन करें तो फिर देखिये थोडेसे ही समयमें माता पुत्री बहनकी दृष्टिसे देखो, एक क्यासे क्या तबदीली दिखती है यानी जो
" अशांति और उपद्रव सुने जाते हैं, दूसरेकी सहायता करो, सबके साथ प्रेमका .
उनका नाम निशान भी न रहेगा और सब बर्ताव रक्खो इत्यादि २
प्रकारसे शांति और सुख ही दृष्टिगोचर होगा। __जब इस प्रकारकी शिक्षाओंका मनुष्य पश्चिमीय बहुतसे विद्वानोंने इस मात्रके हृदयपर सिक्का जम जायगा तो फिर बातको अच्छी तरहसे मालूम कर लिया है कभी उपर्युक्त उपद्रव नहीं हो सकेंगे और कि विना ह्युमन एज्युकेशन यानी दयामयी शान्ति ही शांति नजर आने लगेगी, साथ में ,
शिक्षाके कभी शांति नहीं रह सकती है और
नहीं मनुष्य इसके विना सभ्य बन सकता हमारी ब्रिटिश गवर्नमेन्ट को इन उपद्रवोंके है हमारा बाटश गवनमन्ट का इन उपवाक है अतएव अमेरिका इग्लंड के बहुतसे स्कूरोकने के लिये इंतिजाम करने वगैरहमें जो लोंमें दयामयी शिक्षाओंके कोर्ष नियत होइतनी दिक्कतें उठानी पडती हैं, वह भी इस कर शिक्षा होने लगी है जिससे वहांके दयामयी शिक्षा होनेसे न उठानी पड़ेंगी! लडकोंमे थोडेसेही दिनों में ही सभ्यता ज्यादा प्रिय बंधुओ! अब आपकी सेवा में बढ़ रही है । शिक्षाकी पुस्तकें भी तय्यार
हुई है अगर आप देखना चाहें तो वहांसे सादर प्रार्थना है कि यदि आप अपने
न मंगाकर देख सकते है।
अब में ज्यादा कुछ न कहकर द्वारा, उपदशोंद्वारा, ट्रेक्ट्रोंद्वारा, दया- आशा करता हूं कि आप सज्जन दयामयी धर्मकी शिक्षा फैलाईये और अपनी संता- धर्म के प्रकाश करनेके लिये पूर्ण प्रयत्ननको दयामयी शिक्षा लेने के लिये उत्ते
शिशा लेने के लिये बने शील होंगे । और महोदय स्कूल इन्सजित कर उनको दयालु करानेका पूर्ण
पक्टरान् व टीचरान् इसपर अवश्य बिचार प्रयत्न कीजिए ताकि ये आपकी संतान शिक्षा होने के लिये अवश्य शीघ्र प्रबध
करेंगे और यदि उचित हो तो दयाधर्मकी स्वयं दयालु हो कर दयाधर्मकी शिक्षा जारी कर श्रेयके पात्र होंगे। प्रकाश करनेमें समर्थ हो।
प्रार्थी-अमोलखचंद्र उडेसरवाला (इन्दौर)
हार्दिक
सभाओं