Book Title: Digambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 137
________________ अंक १] 12 दिगंबर जैन. ६ १३३ योंका व्यवहार करें । इस द्रव्यको पैदा कर । गृहकी बाल्यावस्था धार्मिक और लौअपने खर्चमें थोड़ा लगावे परन्तु समाजके किक अनेक विद्याओंके लाभसे, युवावस्था अन्दर विद्याप्रचार. औषधिसेवन, आहा- गुरुकी सेवासे, व अंतिमआयु सर्व परिग्रह रदान व पशुरक्षामें विशेष खर्च करें। त्यागसेही वीते तो न्याययुक्त है। ___ जो लाखों करोडों कमाकर लाखों , इस बचनपर ध्यान देकर सर्व गृहस्थी । अपने बालकोंको योग्य शिक्षा देवें, पुत्र करोडोंका धन शुद्ध मनसे विचारपूर्वक और पुत्रीयोंको समान समझकर हरएकके उपयोगी परोपकार लगाते हैं वही सच्चे योग्य ज्ञानदान करें। युवावय प्राप्त होने धनी गृहस्थ और वही लक्ष्मीको अपने पर लग्न करें जबतक वे ब्रह्मचर्य पालेंसाथ मानो बांध ले जाते हैं। शरीरसे युवावयमें अर्थ व कामको सिद्ध करते हुए परोपकार करना उचित है—जो शरीरको देव, गुरु, व बड़ोंकी भक्तिमें लीन हों। - और अंतवयमें नित्तिमार्ग ले उदासीन हो आलसी बनाकर उसकी सेवा औरोंसे क । ब्रह्मचारी रहें व क्षुल्लक, ऐलक व राते वे कर्तव्यविहीन हो जाते हैं परन्तु परन्तु साधु हो स्वपर हित करें। जो अपने हाथ, पैर व वचनोंसे परजीवोंका परोपकारियों । यथार्थ आत्मधर्म मला करते, उन्हींकी देहप्राप्ति सफल है। समझ कर निज हित करो, यही एक गृहके वसनेवाले कुटुम्बियोंकी रक्षा अपने दिगम्बर जैनीका धर्म है। धर्म व उनके धर्मको बढ़ाने के लिये करना भेषज मार्तण्ड योग्य है न कि मात्र अपनेही स्वबंधमय । यह एकही दवा अलग२ अनोपान करनेसे सर्व प्रकारके बाह्याभ्यन्तर रोगोंमें जादकी तरह फायदा करती है। शिरदर्द आधाशीशी दाढदर्द कानदर्द पसलीदर्द आंख दुखना नपुंसकत्व आदि से जलना दाद खाज फोड़ा फुन्सी घाव चोट कटी हुई जगह ततैया विच्छू आदिसे समझते हैं वे निर्दयी कर्तव्यच्युत हैं । स्त्री, जहरीले जानवरों के काटनेपर चमड़ेके 3 रोगोंमें सिर्फ मलने तथा लगाने मात्रसे आराम होता है। हर प्रकारका बुखार हैजा प्लेग के दस्त तिल्ली हरप्रकारका पेटदद अजीर्ण जी मिचलाना मन्दामि बवासीर जुकाम मुंहके छाले स्त्रियोंके सर्व रोग बच्चोंक सर्व रोग जलोदर आदि सर्व प्रकारके अभ्यन्तर सखावत व्यवहारही श्रेयरुप हैं। मित्रभाव रोगों में तीन बंद पानी में डालकर खाने मात्रसे आराम होता है। यात्रामें साथ अवश्य २ लेजाना चाहिए। आराम नहोतो दाम वापिस कर देंगें। एजंटोंकी आवश्यकता है। नमूनेकी छोटी शीशी ।-(आना बड़ी शीशी ११) रुपया जितना आजीविकाथै परिश्रम करे, कोई (जाडेके बुखारको एक दिनमें शर्तिया दूर करनेवाली दवा फी पुडिया)॥ हर्ज नहीं किन्तु करनाही चाहिए। एक पता-लटूरमल जैनाग्रवाल मालिक दूसरेके धर्मकी रक्षा करें। आरोग्यरक्षक कार्यालय, कोसीकलां-(मथुरा) पति का

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