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अंक १]
7 दिगंबर जैन. ६६ विधिओ, जे शास्त्रमा बतावेली होय ते ऐलक, क्षुल्लक, ब्रह्मचारी, भट्टारक विद्वानो द्वारा शोधावी बहार पाडवी ए वीगेरे सद्गुरु प्रत्ये विनंती के जमानो दरेक खरा श्रावकनुं काम छे. आपणामांथी ओळखी जैनधर्मनो उपदेश करवा कटीउपदेशना अभावे धणाक वैष्णव थई गया बद्ध रहेg, एज तेमनी फरज छे एम छे अने एमने एम चालशे तो बीजा पण समजवू. आ जमानो ज्ञानने चाहवावाळो थशे, तेनो दाखलो जुओ सुरत अने पादरा. छ. अंधेर समय जतो रह्यो छे. हवे तो
आ मिथ्यात्व, ज्यांसूधी आपणो चारित्र अने ज्ञानथी जे उत्कृष्ट हशे, तेज स्त्रीवर्ग सूधर्यो नथी, त्यां सूधी कदी दर विशेष मानने पात्र गणाशे ! थशे नहिं, कारण के कदाच पुरुष अमुक आपणे जैन धर्मानुयायी कहेवाईए, बाबत न माने, पण जो घरमां पीपळे पण रीतरिवाज जोतां शुद्ध जैन कहेवाईए पाणी रेडवा ! हठ ले अने रुसणुं घाले, के केम तेनो बिचार मारा सुज्ञ वांचके तो मरदनी मगदूर नथी के ना पाडी शके!! पोतेज करवो. षटकर्म भूली गया, अष्ट आपणा घरनी घटमाल आ प्रमाणे चाले मूळगुण जता रह्या, पंच अणुव्रतने बदले छे तेनो ख्याल दरेक विवेकी बंधुना मग- कईक बीजांज व्रत ! उभा थयां, जेवां के जमां हवे आव्यो हशे, माटे जेम बने तेम रात्रेखावं, वीगेरे वीगेरे. वांचनार, आ स्त्री पाठशाळा तथा छोकराओनी पाठशाळा लेखमां कोई संस्कार संबंधी गेरसमज थई झटपट खोलो. हवे सन्मार्गनो रस्तो होय तो कृपा करी लखी जणावशो, तो . भापणे हाथेज शोधी लेवानो छे, माटे आभार साथे विशेष स्पष्ट करवा प्रयत्न करीश. बीजाना उपर भरोसो राखवो, ए बेवकुफीभरेली गणाशे. आ बाबतमां वडोदराना भाईओने
बेचते नहीं बांटते हैं धन्यवाद घटे छे. तेमणे आठ नव महि
बाल उडान का साबुन-विना नाथी स्त्री पाठशाळा खाली पोते मासिक । किसी तरह के कष्ट के बालों को मदद आपी, स्त्री शिक्षक रोकी मिथ्यात्व )
५मिनट में उडाकर साफ कर
र अज्ञानता दूर करवा तैयार थया छे, जेथी
देता है कीमत की बक्स ।) आने )
१२ बक्स एकसाथ लैने से १ स्त्रीओ नित्य धर्मामृत, पान करी रही छे,
रास्कोप सिष्टम लीवर बडी साथ अने आशा छे के हवे संख्यामां पण में मुफ्त भेजेंगे। मंगाने का पतावधारो थशे.
शर्मनऐंड कंःसतघडामथुरा