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सचित्र खास अंक. [ वर्ष ८ माजके अन्दर इस विषयका घोर आन्दोलन करना होगा । लोगोंके चित्त इस ओर आकर्षित करना पड़ेंगे । फिर छोटेर ट्रेक्ट सरल भाषामें निकालना पड़ेंगे, समाचार पत्त्रो में लेख लिखना पड़ेंगे, फिर सामान्य विषयों पर व इतिहासिक कथावों व उपन्यासोंको सरल भाषा में लिखकर प्रकाशित करना पड़ेंगे, जिससे लोगों को हिन्दी पढ़नेका अभ्यास बढ़े | हिन्दी लिपिको आन भाषा में और आन लिपियोंमे हिन्दी के लेख - समाचार पत्रों में लिखकर आन भाषाभाषियोंको अभ्यास कराना पड़ेगा, जैसा कि "दिगम्बर जैन" पत्रके सुयोग्य सम्पादकने करके अपने गुजरात प्रांतवासी भाइयोंको हिन्दी पढ़ने, बोलने व समझनेका अभ्यास कराया है । फिर हमको पदार्थविज्ञानशास्त्र ( साइन्स ), अर्थशास्त्र ( एकानौमी), तत्वविज्ञान (फिलासफी), गणित (मेथमेटिक्स), भूगोल खगोल (जा
टेक ०० - यह तो ठीक है, परंतु ऐसा गरफी), राज्यनीति ( ला ), शिल्पशास्त्र
होना असंभव है ।
( इंजीनियरिंग), चिकित्साशास्त्र ( डाक्टरी) इत्यादिर विषयोंकी पुस्तकों को सरल हिन्दी भाषा में लिखना पड़ेगी, ताकि पढ़नेवालोंको थोड़े ही व्यय (खर्च) से शीघ्र ही इन विषयों में प्रवेश हो सके । आप जानते हैं, आजकल इंग्रेजी साहित्य कितना बढ़ा चढ़ा है । उसमें सब प्रकारकी पुस्तकें असंख्य भरी पड़ी है, परंतु उनसे हमारे हिन्दुस्थानी बहुत कम भाई ही लाभ उठा
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भाषा हो जानेसे देशाटन करने, परस्पर पत्रव्यवहार करने, अपने उत्तमोत्तम विचार परस्पर प्रकट करने ( सुनना व सुनाने ) का सुभीता होगा। किसी भी प्रांतका आदमी किसीभी प्रांतमें निसंकोच भावसे आ जा सकेगा, व्यवहार कर सकेगा, इत्यादि कारणोंसेही एक भाषा की आवश्यकता है । जब हमारी एक भाषा हो जायगी तो इसका प्रभाव विदेशों पर भी पड़ेगा और वहां भी हमारी भाषाका सन्मान होगा । हम लोगों का कर्तव्य है कि व्यर्थ के भेदभावको छोड़कर एक भाषाका ध्यान करें । उर्दू' बंगला, गुजराती, उड़िया, मराठी, कनडी, गोरखी, द्राविडी आदिकी खींचतानी न करें जैसे मनुष्योंकी आपसी फूटसे धन और मान हानि होती है, वैसेही भाषावों के झगड़ों में धन, व्यापार आदिकी हानि होती है और इस दशा में विदेश हमारी किसीभी भाषा को आदर नहीं कर सक्ते हैं ।
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जय० - नहीं, यह भूल है । होगा, अवश्य होगा । “उद्योगिनः पुरुषसिंहमु पैति लक्ष्मी” अर्थात् उद्योगी पुरुषका द्रव्यकी कमी नहीं रहती है, उसी प्रकार धैर्य और उद्योगसे सब हो सकता है । असंभव कुछभी नहीं है । टेक ६० - अच्छा बताईये, कैसे होगा ? जय ० - हां सुनिये, प्रथम हमको स