Book Title: Digambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 38
________________ [वर्ष ८ र अंग्रेजे चरबीब > सचित्र खास अंक. १९ मां यात्राळु उपर बे रुपियानो कर लेवातो समक्ष मूक्युं के ते वखतना एक वजनदार हतो ते भारे खटपट करी काढी नंखावी अमेरिकन पत्रे जणाव्युं छे. के:--. रुप्यानो उचकोज नक्की कराव्यो छे. एओ "A number of Distinguished Hindoo Scholars, Philosophers and Religious Teachers attended andhake addressed the Parliament; some of them taking rank with the highest of any race for learning, eloquence ते बंध कराववा कलकत्ता कोर्टमां फरियाद and piety. But it is safe to that no one of the Oriental Scholars was कोर्टमां अपील दाखल करवामां आवी, ते listened to with greater interest than was the young layman of the Jain वखते वीरचंदभाईए कलकत्ता जई बंगाळी community as he declared the Ethics and Philosophy of his people." पटो वगेरेनुं अंग्रेजी भाषांतर करी तेना अर्थ-पार्लामेंटमां प्रतिष्ठित हिंदु विद्वान, पुरावा दाखल कर्याथी जैनोनो विजय थयो तत्वज्ञानीओ अने धर्मोपदेशको हाजर हता हतो. वळी सौंथी महान कार्य जो वीरचंद- अने तेमणे भाषणो आप्यां हता, तेमांना भाई करी गया होय तो ते अमेरिका जई केटलाक तो एवा हता के जेओने समानजैनधर्मनो फेलावो करवानुं छे. सन् पदपर मूकाय तेम छे, परंतु एटलं तो १८९६मा अमेरिकाना चिकागो शहरमां निर्भयताथी कही शकाय तेम छे के पौर्वागंजावर प्रदर्शन भरायेलं ते समय त्यां त्य पंडितोमाथी जैन समाजना युवक श्रावके 'विश्वधर्मपरिषद ' थई हती तेमां जैनो (वीरचंदभाईए) पोताना वर्गनी नीति अने तरफथी विजयानंदसूरी ( आत्मारामजी )ने तत्वज्ञान संबंधी आपेल भाषण जे रसथी आमत्रंण आवेलुं पण तेमनाथी समुद्र पार न श्रोताए सांभळेल हतुं ते करतां वधारे जवावाथी तेमणे आ प्रश्न जैन एसोशीएशनने रसथी कोई गौरव पण पौर्वात्य पंडितर्नु मोकल्यो, जेणे वीरचंदभाईने पसंद कर्या, तेणे सांभल्युं नथी." जेथी पछी वीरचंदभाईए केटलाक महीना आ भाषणथी वीरचंदभाईने त्यांनी सभामांथी सुधी महाराज पासे जैनधर्मनुं ऊंडं ज्ञान रौप्यपदक मळ्यो हतो. पछी एमणे एटलेथी मेळव्युं अने पछी अमेरिका उपडी गया संतोष न जइ अमेरिकाना बोस्टन, न्यूयोर्क, अने त्यां विश्वधर्मपरिषदमां जैनो तरफथी वोशिंग्टन वगेरे शहेरोमां जइ जैनधर्म उपर जैनधर्मनुं स्वरुप-नीति अने तत्वज्ञान बन्ने व्याख्यानो आपी जैनधर्मर्नु रहस्य समजाव्यु एवी उत्तम रीतिए अंग्रेजी भाषामां ते तथा कासाडोगामा करेला भाषणथी त्यांना

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