Book Title: Chitramay Tattvagyan Author(s): Gunratnasuri Publisher: Jingun Aradhak Trust View full book textPage 9
________________ समवसरण के प्रथम गढ़ के बाहर जहां १ नंबर लगा है । उसके नीचे कमल है | उस पर १ से ९ अंक लिखे हैं, उस पर क्रमश: नवकार महामंत्र के ९ पद बोले | उसके बाद भाव से प्रथम गढ़ के अन्दर जाकर २ नंबर के कमल पर उसी प्रकार नवकार मंत्र गिने | उसके बाद आगे बढ़कर ३ नंबर के कमल पर नवकार मंत्र गिने | उसके बाद प्रथम गढ से बाहर निकल कर ४ नंबर के कमल पर नवकार मंत्र गिने । फिर आगे बढ़कर समवसरण के दरवाजे के ५ नंबर के कमल पर नवकार गिने । उसके बाद आगे बढकर ६ नंबर के कमल पर नवकार मंत्र गिने | उसके बाद अन्दर जाकर ७ नंबर के कमल पर, उसके बाद आगे बढ़कर ८ नंबर के कमल पर, उसके बाद बाहर निकल कर ९ नंबर के कमल पर नवकार गिने । जिस प्रकार पूर्व दिशा में ये ९ नवकार मंत्र गिने, उसी प्रकार दक्षिण, पश्चिम और उत्तर में ९/९ नवकार महामंत्र गिने | इस प्रकार एक प्रदक्षिणा में पहले गढ़ पर ३६ नवकार होंगे । इसी तरह दूसरे, तीसरे गढ़ पर दूसरी, तीसरी प्रदक्षिणा में ३६-३६ नवकार मंत्र गिनने से कुल १०८ नवकारमंत्र एकाग्रता से गिने जा सकते हैं । एकाग्रता में लीन र बनकर १०८ नवकार महामंत्र गिनने का यह श्रेष्ठ उपाय है। नवकार मंत्र के समान कोई मंत्र नहीं है। वीतराग के समान कोई देव नहीं है। शgजय के समान कोई तीर्थ नही है । एक नवकार मंत्र गिनने से ५०० सागरोपम जितने पाप कटते हैं |चित्रमय तत्वज्ञान ४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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