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ददरेवा यह गांव राजगढ़ से रिणी जाते हुये मार्गमें आता है। पाचक श्री गुणविनय कृतस्तवन के अनुसार सतरहवीं शताब्दी में यहाँ श्री शान्तिनाथ भगवान का मन्दिर था। इस समय यहाँ मन्दिर का नामोनिशान भी नहीं है।
बीकानेर के जैनमन्दिरों को राज्यकी ओर से सहायता बीकानेर राज्यकी देवस्थान कमेटी से पूजनादि के लिये निम्नोक्त रकम मासिक सहायता मिलती है।
यह सूची पुरानी है, वर्तमान में सहायता की रकममें वृद्धि हो गयी है। १-नापासर* शान्तिनाथजी १- रतनगढ़ जैनमन्दिर
शा) ३-चूरू शांतिनाथजी
१)
दादाजी
दादाजी
४-राजगढ़ जैनमन्दिर
सा) ५-रिणी शीतलनाथजी २॥
दादाजी ६-सुजानगढ़ ऋषभदेवजी २ ) ७--सरदारशहर पार्श्वनाथजी ) पार्श्वनाथजी नया मन्दिर )
दादाजी १३) ८-उदरामसर दादाजी है-देशनोक मन्दिर १०-लूणकरणसर पार्श्वनाथजी । ११-सूरतगढ़ पार्श्वनाथजी २) १२-ऋषभदेवजी १३- हनुमानगढ़
२ ) १४-नौहर
२१ ) १५-भादरा
श)
रजु दफ्तर
छाप
श्री रामजी * श्री दीवान वचनात् गां० नापासर री जगात रा वा रुखवाली री माछरा हुवालदारां जोग ! तीथा श्री जी रोमन्दिर जैनरो गाँ० नापासरमें छै तैरी सेवा पूजा सेवग खड़गौ करै छै तै नै केसरचनण धूपरा मा०१ रु. २) अखरे रुपया दोय कर दिया है सुजगात रो हुवालदार हुवे सो १) वा रुखवालीरी भाछ रो हुवालदार हुवे सु१) चल दिया जावजो दः अचारज ठाकरसी सं० १९०३ मी० फागण वदि ।
xश्री बीकानेर रा मांडहिया लिखावतुरिणी रा मांडहिया जोग तथा पूज श्री जिनसखसरिजी री छतड़ी पादकारे पूजा नु टका १५॥ अखरे पन्हरै चलु थितीया देजो म्हे थानु मुकाते मा मुजरे भरदेसां सं० १७८३ मगसर सुद ४ हुता चल दे जाई उपासरे मटारकारे देजो।
"Aho Shrut Gyanam"