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बीकानेर जैन लेख संग्रह
( २५८९ ) ॥६० ॥ श्री गणेशाय नमः ॥ संवत् १७२५ वर्षे शाके १५९० प्र० मांगल्यप्रद वैशाख बदि १३ तिथौ भौमवारे अत्र दिने पूरवं मेवाड़ देशे जावर नगरे पश्चात् सांप्रतं उठेउर। ओसवाल बहुरा अभोरा गोत्रे मांडहीया सा॥ श्री वसताजी पु० सा० केशवजी पु० सा० श्रीवीरजी पु० सा० श्री सुखमल देवलोके गतः श्री बीकानेर नगरे तस्य भार्या श्री सोभागदेजी। सूराणा गोत्रे ॥ सा० धरमदास जी पु० सा० दसूजी तत्पुत्री पीहर नाम बाई सदानी भरतार सह महासती जाता ।। राठ सतारखाण ईसा जाति झास ।। शुभंभवतु !! कल्याणमस्तु ।। १८
( २५९०) सिद्धि श्री गणेशाय नमः संवत् १७४२ वर्ष मिति फागुण सुदि ६ दिने मालू गोत्रे साह दूलीचन्द भारजा जगीशादे महगा सती देवलोके प्राप्ताः शुभंभवतु ॥ "
( २५९१ ) ॥६०॥ १६८७ वर्षे आषाढ़ प्रथम सुदि १३ दिने थावरवारे बहुरा गोत्रे ।। साह नगा भार्या नायकदे तप देवा भार्या दाडमदे तत्पुत्र कपूर भा। कपूरदे पुत्र दीपचन्द भा। दुरगादे सती साह मेहाकुल र पारख नी बेटी । २०
(२५९२ )
श्री गणेशाय नमः ॥६० ॥ स्वस्ति श्री गणेशकुलदेव्या प्रसादात् ॥ स्वस्ति श्री राजराजेश्वर शिरोमणि महाराजाधिराज श्री सूरतसिंघजी विजयराज्ये आसीत् शुभ संवत्सरे श्री मन्नृपति विक्रमादित्य राज्यात् ।। संवत् १८६० वर्षे शाके १७२५ प्रवर्त्तमाने महामांगल्यप्रद मासोत्तम श्रावण मासे शुभे पक्षे तिथौ ८ अष्टम्यां बुद्धिवासरे घटी १३ पल ४७ स्वाति नक्षत्र घटी २२ पल ५९ शुभ नाग्नियोग घटी ४२ पल २४ एवं पंचांग शुद्धौ अत्र दिने शुभ बेलायां उश वंशोद्भव छाजेड़ ज्ञातौ साहा जी श्री मल्लूकचन्द जी तत्पुत्र अनोपचन्दजी तस्यात्मज सरूपचन्दजी देवलोके गतः श्री हैदराबाद मध्ये तत्पृष्टे संवत् १८६० मिति आश्विन वदि १४ बुद्धिवार रै दिन मुधर्मपत्नी गंगा नारनिये गांरा। न सहगमन कृत ।। बेगाणी साहजी किनीरामजी की बेटी देवलोके गतः महासती हुयी श्री बीकानेर मध्ये तदुपर संवत् १८७५ वर्षे मिति आषाढ़ सुदि २ द्वितियायां अदितवार पुष्य नक्षत्र शुभ वेलायां छाजेड़ साह जी सूरतरामजी देवली छत्रिका प्रतिष्ठा कारिता तदुत्पन्नेन फलेन
१८ गोगा दरवाजा के बाहर-श्री पार्श्वनाथ जी के मन्दिर के पीछे १९ मोगा दरवाजा के बाहर- ढड्ढों की साल के पास, २० गोगा दरवाजा के बाहा- छाजेड़ों की बगीची में बिना स्थापित संगमरमर की देवली
"Aho Shrut Gyanam"