Book Title: Bikaner Jain Lekh Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta

View full book text
Previous | Next

Page 569
________________ बीकानेर मैन लेख संमह (२७३२ ) बाई गंगादे पुण्यार्थे बाई मेपारे (२७३३) तुर्विशति जिन पट्टिका संवत १५७६ वर्षे फागुण बदि ९ दिने श्री ऊकेश बंशे परीक्ष गोत्रे प० डूंगरसी पुत्र गांगा भार्या गंगादे पु० ५० नोडा राजसी आंबा पौत्र मालादि परिवार सहिताया श्राविका गंगादेव्या चतुर्विशति जिनादिका पूज्यत्र स० बीजपाल भार्या वीजलदे पुत्र भ० जगमाल पौत्र साह भ० सहसमलादि परिवार सहितया श्रा० वीजलदेभ्यां पट्टिका कारिता प्रतिष्ठिता खरतर गच्छे श्रीजिनहंससूरिभिः सौभाग्यभूरिभिः । (२७३४ ) विहरमान जिन पट्टिका संवत् १५८० वर्षे आषाढ सुदि द्वादशी दिने बुधवारे ५० डूंगरसी ५० गांगा प० नोडा पुत्र राजसी पुत्र आंबा माल्हा श्रा० गंगादे पुण्यार्थ पट्टि कारिता खरतर गच्छ । (२७३५ ) सहस्रफणा पार्श्वनाथ सं० १९६४ मिति फागुण बदि २ सं०। पा० चांदमल्ल के० प्र० वृद्धिचंद्र। (२७३६ ) चतुर्विशति जिन पट्टिका श्रीमाल वंशे तांबी गोत्रे सा० माल्हा संतानी फेरू ऊगर पुत्र धांधण संजई गूजर जाती। (२७३७ ) चतुर्विशतिजिन मातृ पट्टिका सं० १५७६ वर्षे वैशाख सुदि ३ दिने श्री उकेश वंशे भणसाली गोत्रे श्री चोपड़ा गोत्रे । भ० जाडा भार्या कपू पुत्र भ० जीवट पौत्र भ० नगराजादि परिवार सहितेन अपरंच श्री चोपड़ा गोत्रे भादा भार्या श्रा० भादलदे पुत्र सं० सूटा सं० वरसीहादि परिवार सहितेनश्रा० कपू श्रा० भूदलदेव्या कारित प्रतिष्ठितं श्रीखरतर गच्छे श्रीजिनसमुद्रसूरि पट्टे श्रीजिनहंससूरिभिः सौभाग्यमूरिभिः। ( २७३८ ) चौभूमिये पर तोरण पर सं० १५३६ वर्षे साधण सु.........शुभं भवतु श्री जिनभद्रसूरि पट्टालंकार श्री जिनचन्द्रसूरि विजयराज्ये वा० कमलराज गणि पं० उत्तमलाभ गणि हेमध्वज गणि शिवशेखर गणय देवान् गुरुंश्च वन्दते। सूत्रधार देवदास श्री॥ "Aho Shrut Gyanam"

Loading...

Page Navigation
1 ... 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658