Book Title: Bikaner Jain Lekh Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta
View full book text
________________
बीकानेर जैन लेख संग्रह
( २७६७ ) पंचतीर्थी श्री ककुदाचायींय गच्छे जंसुअ पुत्रेण सत्यदेवेन कारिता जाजिणि निमित्त कारिता ॥
(२७६८ )
श्वेत पाषाणमय महावीर प्रतिमा ६ संवत् १२३२ ज्येष्ठ सुदि ३ श्री खंडिल्ल गच्छे श्री वर्द्धमानाचार्य संताने साधु तेहड़ तत्पुत्र-राधराभ्यां कारिता नव्यामूर्तिशाच ॥६
खरतराचार्य मच्छोफाश्रय देहरासर
पाषाण प्रतिमाओं के लेख
(२७६६ ) ___ सं० १५१३ वर्षे मार्ग वदि २ दिने ऊकेश वंशे काणोड़ा गोत्रे सा० ..... धर्म बिबंकारि......... श्री जिनसमुद्रमूरिभिः खरतर गच्छे ।
( २८००) ___ सं० १५४३ वर्षे मार्ग बदि २ दिने ऊकेश वंशे भणसाली गोत्रे......... ... .."आदियुतेन श्री नमिबिबं"... सूरिपट्ट श्री जिनसमुद्रसूरिभिः।
(२८०१ ) सं० १५२४ मार्गसिर बदि. . . . . . . . . . . साहण पुत्र. . . . . . . . . “डाबरेण स्वपितु श्री जिनचंद्रसूरिभिः सा. न. . . . . ।
(२८०२ ) चरणों पर संवत् १८२० व । शा १६८५ प्र! मिगसिर सुदि ५ शुक्र भ। श्री जिनदत्तसूरिजी पादुके ।।
धातु प्रतिमादि के लेख
( २८०३ ) पंचतीथीं संवत् १४७६ वर्षे माघ वदि ४ शुक्र बाम गोत्रे सा० नरपति संताने सा० कासदेव पुत्राभ्यां गांगा लाखणाभ्यां पितृश्रेयसे श्री धर्मनाथ बिब कारितं प्रतिष्ठितं मलधारि श्री विद्यासागरसूरिभिः।
( २८०४ )
पार्श्वनाथ लघु प्रतिमा सं० १६२६ व० फा० सु० ८ सो० श्री हीरविजयसूरि प्रतिष्ठित कीकी अर बाई ।
(२८०५ )
रजतमय हृींकार यंत्र पर संवत् १८६१ वर्ष शाके १७२६ प्रवर्त्तमाने मधुमासे सितेतर पक्षे त्रयोदश्यां तिथौ गुरुवासरे शतभिषा नक्षत्रे शुभयोगे श्रीविक्रमपुरस्थित सुश्रावक पुण्यप्रभावक मुहणोत श्रीरामदासजी कारापितं प्रतिष्ठितं भट्टारक जंगम युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरिभिः। धर्मार्थ विहरापितं ।
( २८०६)
रजतमय सिंहासनोपरि पादुकायां सं० १६०६ मि । आ।सु । १५ श्रीजिनकुशलसूरीणां पादुका श्रीजिनहेमसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।
"Aho Shrut Gyanam"

Page Navigation
1 ... 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658