Book Title: Bikaner Jain Lekh Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta

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Page 592
________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह [सं० २०१३ मिती चैत्र शुक्ल ७ को बीकानेर से ७० मील दूरी पर स्थित अमरसर गांव ( खा-सुजानगढ़ रोड पर) में नोजो नामक बृद्धा जाटनी ने टीबों पर रेत सहलाते हुए जिन प्रतिमा विदित होने पर प्राम्य जनों की सहायता से खोदकर १६ प्रतिमाएं निकाली जिन में २ पाषाण व १४ धातुमय है इनमें १२ जिन प्रतिमाएं व दो देवियों की प्रतिमाएं हैं। इनमें १० अभिलेखोंवाली हैं अवशिष्ट १ पाषाणमय नेमिनाथ प्रतिमा व धातु की पांच प्रतिमाओं पर कोई लेख नहीं हैं। इनमें दो पार्श्वनाथ प्रभु की त्रितीर्थी व एक सप्तफणा एकतीर्थी व एक चौमुख समवशरण है एक प्रतिमा देवी या किन्नरी की जो अत्यन्त सुन्दर व कमलासन पर खड़ी है। यहां उत्कीर्ण अभिलेखों की नकलें दी जा रही हैं। ये प्रतिमाएं अभी बीकानेर म्युजियम में रखी गई हैं।] (२७८६ ) अम्बिका, नवग्रह, यक्षादि युक्त पंचतीर्थी ____ संवत् १०६३ चैत्र सुदि ३ .....तिभद्र पुत्रेण अह्नकेन महा (प्र) त्तमा कारिते। देव धर्माम्नाय सुरुप्सुता महा पिवतु । (२७६०) पाश्वनाथ त्रितीर्थी ६ संवत् ११०४ कान० माल्हुअ सुतेन कारिता ( २७६१ ) त्रितीर्थी ६॥ संवत् ११२७ फाल्गुन सुदि १२ श्रीमदूकेसीय गच्छे उसभ सुतेन आम्रदेवेन कारिता ( २७१२) चतुविशति पट्टः त् ११३६ जल्लिका श्राविकया कायभू ( २७६३ ) पार्श्वनाथ पंचतीर्थी ऐं। संवत् ११६० वैशाख सुदि १४ रा श्री कूर्वपुरीय गच्छे श्री मनोरथाचार्य सन्ताने उदयच्छा (१) रूपिणा कारिता। ( २०६४ ) अश्वारूढ़देवी मूर्ति पर सं० १११२ ० आषा सुदि ५ साढ सुत छाहरेन करापितं ॥ ( २७६५ ) पार्श्वनाथ त्रितीर्थी मांडनियणके दुर्गराज वसतो नित्य स्नात्र प्रतिमा दुर्गराजेन कारिता। सप्तफणा पाश्वनाथ है दे धर्मोयं स..........'णेवि श्राविकायाः ॥ "Aho Shrut Gyanam"

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