Book Title: Bikaner Jain Lekh Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta

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Page 585
________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह समयसुन्दरजीके सामने की शाला में ( २८६३) ___ श्री गणेशायनमः ।। संवत् १८८१ रा वर्षे शाके १७४६ प्रवर्त्तमाने मासोत्तम मासे मिगसर मासे कृष्ण पक्षे त्रयोदशी तिथौ गुरुवारे महाराजाधिराजा महाराजा जी श्री गजसिंह जी विजयराज्ये वृहत्तरतर आचारज गच्छे जंगम युगप्रधान भट्टारक श्री जिनचंद्रसूरिजी तत् वृहदिशष्य पं।प्र। श्री अभयसोम गणि संवत् १८७८ रा मिति माहसुदि १२ दिने स्वर्ग प्राप्तः तदोपरि पं० । ज्ञानकलशेन इदं शाला कारापिता संवत् १८८१ रा मिति मिगसिर बदि १३ दिने भट्टारक श्रीजिनउदयसूरिजी री आज्ञातः पं०॥ प्र। लब्धिधीरेण प्रतिष्ठिते श्रीसंघेन हर्ष महोत्सवो कृतः सीलावटो गजधर अलीलखानी शाला कृता । यावत् जम्बुद्वीपे यावत् नक्षत्र मण्डितो मेरु यावत् चंद्रादित्यो तावत् शाला स्थिरी भवयु १ लिपिकृता रियं । पं । हर्षरंग मुनिभिः॥ शुभंभवतु ॥ श्रीकल्याणमस्तु ॥ ॥ श्री ॥ ( २८६४) चरणपादुका पर ।सं। १८७९ य । शा। १७४४ प्र। मिति दु आसोज बदि ५ रविवारे भ। जं। श्री जिनचंद्रसूरि सूरि जी तत् शिष्य पं। अभयसोम पादुका स्थापिता ॥ गुरां जी श्री १०८ पं । प्र। चैनसुख जी। ( २८६६) ॥ १९४१ मिति भाद्रव सुदि ३ गुरांजी पं । प्र। श्री १०८ श्रीनिजेचंद खरतरा अचरज गच्छरा। ( २८६७ ) संवत् १६७४ वर्षे मार्गशीर्ष बदि ५ शुक्रवार। श्री जेसलमेरौ । श्री वृहत्खरतर गच्छाधीश सवाई युगप्रधान श्री जिनचंद्रसूरि पादुका प्रति० श्री धर्मनिधानोपाध्यायैः । गणधर गोत्रे । हरष पुत्र सा० तिलोकसीकेन पुत्र राजसी पुनसी भीमसी सहितेन प्रतिष्ठा कारिता ॥ विनेय पंडित धर्मकीर्ति गणि वंदते गुरुपादान् । श्री ५ सुखसागर गणि पं० समयकीर्ति गणि पं० सदारंग मुनि प्रमुखाः वन्दते पं० उदयसंघ लि०। (२८६८) .......सूरीश्वराणां पादु.... राज श्री जिनराजसूरि । "Aho Shrut Gyanam

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