Book Title: Bikaner Jain Lekh Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta

View full book text
Previous | Next

Page 582
________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह चरणपादुकाओं के लेख -- (२८४२) सं० १८५२ मिते पोष सुदि ५ तिथौ श्रीजिनचन्द्रसूरि विजययिराज्ये वाचनाचार्य श्री अमृतधर्म गणिनां पादन्यासः श्री संघेन कारितः प्रतिष्ठितश्च वा० क्षमाकल्याण गणिभिः (२८४३) सं० १८०४ मिते ज्येष्ठ सुदि ४ तिथौ श्री कच्छ देशे मांडवी बिंदरे स्वर्गगतानां श्रीजिनभक्तिसूरीणां पादन्यासः सं०१८५२ मिते पोष सुदि ५ तिथौ कारितं श्री संघेन प्रतिष्ठितश्च वा० क्षमाकल्याण गणिभिः (२८४४) ॥सं । १८०८ मिते कार्तिक बदि १३ तिथौ श्री बीकानेर नगरे स्वर्ग गतानां श्री प्रीतिसागर गणिनां पादन्यासः सं० १८५२ मिते पौष सुदि ५ तिथौ श्री संघेन कारितं प्रतिष्ठितश्च वा० क्षमाकल्याण गणिभिः (२८४५) श्री गौड़ी पार्श्वनाथजी नमः संवत् १७९६ वर्षे मिती माह बद ५ श्री गौड़ी पार्श्वनाथ ... दादाबाड़ी ( देदानसर तालाव) ( २८४६ ) ॥ संवत् १९३० पोष वदि १ प्रतिपदा तिथौ जं । युरप्राभट्टारक बृहत्खरतर गच्छाधीशः श्री श्री १०८ श्रीजिनमुक्तिसूरिभिः श्रीजेसलमेरेश रावलजी श्री वैरिशालजी विजयराज्ये श्री जिनभद्रसूरिशाखायां उ। श्री साहिबचन्द्र गणेशचरण न्यास प्रतिष्ठाकृता कारिता च तत् भ्रातृव्य तशिष्यसं अगरचन्द्र मेघराजादिभिः श्रीरस्तुः ।। गजधर हासम (२८४७ ) ॥सं० १९३९ शाके १८०४ प्र ज्येष्ठ वदि १२ रविवार जं। यु। प्रभ । बृहत्खरतरगच्छाधीशैः श्री श्री १०८ श्री जिनमुक्तिसूरिभिः श्री जेसलेमेरेश म। रावलजी श्रीवैरिशालजी राज्ये श्रीजिनभद्रसूरिशाखायां पं० प्र० अगरचंद्र मुनिचरणन्यास प्रतिष्ठा कृता कारिता च तत्भ्रान्य । तत्सुशिष्य पं। वृद्धिचंद्र जइतचंद्रादिभिः श्रीरस्तु। गजधर आदम ॥ (२८४८) संवत् १९५२ रा मिती माघ शुक्ल पूर्णमासी १५ तिथौ गुरुवारे गुरांजी महाराज श्री सरूपचंद्रजी वर्ग पोहता तस्य धरणपादुका स्थापित। दूज जेठ मदि ३ दिने । "Aho Shrut Gyanam"

Loading...

Page Navigation
1 ... 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658