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बीकानेर जैन लेख संग्रह छाजेड़ साहजी सरूपचन्दजी सगमनयो परिलोके सद्गतरस्तु ॥ यावद्गंगादयो नद्यां यावत् चन्द्रांक तारकः ॥ तावत देवली छत्रिका पृथिव्यामधितिष्टतु ॥१॥ श्रीरस्तुः ॥ कल्याणमस्तुः ॥शुभंभवतु।। सूत्रधार उसता हसनजी पुत्र अमर ॥ वधुसेन ॥ श्री कल्याणमस्तुः ॥२॥
. ( २५९३) श्री गणेशाय नमः ।। संवत् १७३७ वर्षे शाके १६०२ प्रवर्त्तमाने फाल्गुन मासे कृष्ण पक्षे नवमी तिथौ भृगुवारे नाहटा लूणा पुत्र मनहर पुत्र केशरीचन्द...मा सती श्री केशरदे बाई देवगतः शुभं भवतु ॥२१
(२५९४ ) श्री गणेशायनमः स्वस्ति श्री नृपति विक्रमादित्य राज्यात् संवत् १७२४ वर्षे शाके १५९० प्रवर्त्तमाने महामांगल्यप्रद मार्गसिर मासे कृष्ण पक्षे षष्ठी स्तिथौ सोमवासरे ॥ महाराजाधिराज महाराजा श्री श्री ५ कर्णसिंहजी महाराज श्रीअनूपसिंह विजयराज्ये ॥ नाहटा गोत्रे साह देवकर्ण तत्पुत्र पासदत्त सती मह देवलोके गता राजावल गोत्रे हुँदा पुत्री महासती वीरादेवी नाम || शुभं भवतु ॥ श्री श्री ॥२३
(२५९५) श्री गणेशायनमः ॥ अभिप्सितार्थ सिद्ध्यर्थ पूजितोयः सुरासुरैः सर्व विघ्नच्छिदेत्तस्मै श्री गणाधिपतये नमः ॥ १॥ अथ शुभ संवत्सरे श्रीमन्नृपति विक्रमादित्य राज्यात् संवत् १८५१ वर्षे शाके १७१६ प्रवर्त्तमाने मासोत्तम मासे मधु मासे कृष्ण पक्षे तिथौ दशम्यां सोमवासरे घटी ११॥ उत्तराषाढा नक्षत्र घटी ३३ परयतम योग घटी २४ बबकर्ण एवं पंचांग शुद्धौ अत्र दिने सूर्योदयात् घटी २८१७ तत् समये शुभ वेलायां ज्ञातौ दसराणी गोत्रे मुँहत्ताजी श्री गिरधारी लाल जी वैकुण्ठ प्राप्ति सत् गति भाज्या सपतनी सहत कावड़त चत्ररो वच्छराज जी बेटी सत् गति प्राप्ति हुई दसराणी गिरधारीलाल सागे सती नाम श्री चतरो सती वैकुण्ठ गतिः ॥ सैहर महेसने दै सतलोक प्रसहुआ शुभंभवतु ॥ २४
( २५९६) सं० १६८८ वर (थे ) सावण वदि १४ सती पदमसीरी २५
( २५९७ ) सं० १७१३ रा आसोज वदि ४ सती देवकरण री छै २६ २१ गोगा दरवाजा के बाहर-छाजेड़ों की बगेची में छत्री में २२ गोगा दरवाजा के बाहर--नाइटों के स्मशानों में २३. रेलदादाजी में पो के पास थी जो अब नाइटों की बगेची में है।
२४. घड़सीसर व नागणेची देवी के बीच जंगल में। २५, २६ श्री दानमल जी नाहटा की कोटडी में स्तंभ पर ।
"Aho Shrut Gyanam"