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बीकानेर जैन लेख संग्रह दादैजी श्री जिनकुशलसूरि जी री पादुको छै तिणारी पूजा हुवै है सु जमी बीमा ७५० अखरे बीघा साढी सातसै डोरी बीसरी चढाई छै सो तलाव तेजोलाव रै लारली गाँव नाल सुं आधुणवै पासै री सांसण तांबापत्र कर दीबी छै सु दादेजी री पादुकावांरी पूजा दैहल बंदगी करसी सु जमी वाहसी जोड़सी वा मुकाते देसी तेरो हासल लेसी म्हारौ पूत पोतो पालीया जासी सं० १८७३ मिति वैशाख सुदि ९ वार सोमवार श्लोक ॥ स्वदत्तं परदत्ता वा ये हरंति वसुंधरा। ते नरा नरकं यांति यावश्चन्द्र दिवाकरो ॥१॥ स्वदत्त परदत्तं वा य पायंति वसुन्धराः। ते नरा स्वर्ग यांति यावश्चन्द्र दिवाकरो॥॥
(२६१६ )
श्री लक्ष्मीनारायण जी । सही स्वस्ति श्री राजराजेश्वर महाराजाधिराज महाराजा शिरोमणि महाराजा जी श्री श्री १०८ श्री सूरतसिंघ जी महाराज कुंवार श्री रतनसिंघ जी वचनात् श्री जी साहबां रे दुसमणां नै मांदगी आई सु श्री परमेश्वर जी री क्रिपा सुंवणारस बखतचन्द जी नै अस आयौ संपाड़ी कियौ तेरी खुशी उप्र श्री दरवार कृपाकर रोज १९०१) अखरे रुपीयो आधो आकरों श्री मांडही री गोलक में कर दीयौ छै सु औषा इयारो चेलौ पूत पोतो नुं सांसण तांबापत्र कर दीयौ छै सु पासी म्हारो पूत पोती हुसी सु पालीयां जासी कसर न पड़सी तलाक छै सांमत १८६४ मिति फागुण वदि ७ मुकाम पाय तखत श्री बीकानेर कोटे दाखल 55 55'
( २६१७ ) श्री परमेसर जी सत्य छै श्री मुरली मनोहर जी
श्री रामजी सही सिद्ध श्री ठाकुर राज श्री सवाईसिंघ जी कंवर मानसिंह जी लिखतु तथा जायगा १ कैवली गच्छं रा उपासर चढ़ाई पुनारथ दीनी तिणरी विगत पुठवाड़ तो वागरे मैने पेसतो जीवणी बाजू लुंका गच्छ रो उपासरो नै डावी बाजू मु॥ माना री हाट नै निकाल राजपथ तिको जायगा पुनारथ दीनी छै अय दत्तगं परदसग जईलोपते सुन्धरा ते ना मर जावतं यावत चन्द दिवाकराः संवत् १८५६ रा जेठ वदि ८ लिखतं सा मोहनदास गोगदास ।'
१-यह ताम्र शासन १४५७ इश्व के साइज का बीकानेर का बड़े उपाश्रय के भंडार में सुरक्षित है। २-यह १०॥x॥ इस का १४ पंक्ति वाला 'ताम्रशासन बीकानेर के बड़े उपाश्रयस्थ शानमण्डार में
--पराएका तासासम कंबली मच्छ के उपाश्रमेयो।'
"Aho Shrut Gyanam"